सुदर्शन रत्नाकर
महका बौर
आया जो मधुमास
कोयल कूकी
बही आम्र- बयार
धरा महकी
लगा रंगों का मेला
पावन -बेला
इत्र-रची हवाएँ
मन लुभाएँ
महकती दिशाएँ
लोभ में डूबे
मधुप मँडराएँ
प्रेम में पगे
पराग-कण खाएँ
फूलों के संग
करें अठखेलियाँ
प्राण गँवाएँ
तितलियों ने
फूलों पे डाला डेरा
हो जातीं एक
है मिलन अनोखा
मादक ऋतु
पक्षियों ने बनाए
घोंसले नए
कलाकारी अजब
नए परिंदे
उड़ेंगे आकाश में
एक नई आस में।
-0-
ई-29,नेहरू ग्राउंड, फ़रीदाबाद 121001
7 टिप्पणियां:
बहुत सुंदर चोका, हार्दिक शुभकामनाऍं।
धन्यवाद भीकम सिंह जी
बहुत सुंदर चोका।
आदरणीया रत्नाकर दीदी को हार्दिक बधाई।
सादर
बहुत ख़ूबसूरत चोका...हार्दिक बधाई आदरणीया दी।
रश्मि जी, कृष्णा वर्मा जी स्नेहिल आभार।सुदर्शन रत्नाकर
मनमोहक चोका। हार्दिक बधाई रत्नाकर दीदी।
हार्दिक आभार जेन्नी जी।सुदर्शन रत्नाकर
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