डॉ. हरदीप कौर सन्धु
2.
चाँद - चाँदनी
करे मुझसे बातें
मेरी तन्हाई
खामोश अँधेरे में
4 .
सपनों में बताऊँ
उसे मन की बातें !
उसे मन की बातें !
वो नहीं जाने
दिल चीर दिखाया
बिखरा रेशे -रेशे !
दिल चीर दिखाया
बिखरा रेशे -रेशे !
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15 टिप्पणियां:
वो रूठा ऐसे
मैं रही मनाती
वि नहीं माना
सपनों में बताऊँ
उसे मन की बातें !...
javab nahi is soch ka bahut 2 badhai..
दिल चाहता
रहे करीब कोई
मैं रूठ जाऊँ
जग रूठा ज्यों लगे
वो मुझको मनाए !
वो रूठा ऐसे
मैं रही मनाती
वो नहीं माना
सपनों में बताऊँ
उसे मन की बातें !
हरदीप जी ,
बहुत भावपूर्ण तांका लिखे है आपने .....बधाई एवं विजय दशमी की हार्दिक मंगलकामनाएं ....
डा.रमा द्विवेदी
चाँद - चाँदनी
करे मुझसे बातें
मेरी तन्हाई
खामोश अँधेरे में
छुप-छुप आँचल !
बहुत भावपूर्ण तांका है...बधाई...।
नमस्कार !
बेहद सुंदर '' तांका '' विधा में रचित आप कि रचनाये ,बधाई
सादर
मन त्रिंजण
काते प्यार किसीका
वो नहीं जाने
दिल चीर दिखाया
बिखरा रेशे -रेशे !
नूतन बिम्ब, अभिनव प्रयोग में रची बसी रचना के लिए हार्दिक बधाई ...
sabhi taanka bhut bhavpurn hain...badhai
सुन्दर भावपूर्ण रचनाएं....
टांका पढने और इसके बारे में जानना सुखद है...
सादर आभार....
मन त्रिंजन का रोग पालो ,बिन पाए खो जाना है ......
अछे साक्ष्य बधाईयाँ जी /
वो रूठा ऐसे
मैं रही मनाती
वि नहीं माना
सपनों में बताऊँ
उसे मन की बातें
बहुत सुंदर तांका हैं बधाई हरदीप जी
सादर
अमिता कौंडल
behad bhaavpurn taankaa...
मन त्रिंजण
काते प्यार किसीका
वो नहीं जाने
दिल चीर दिखाया
बिखरा रेशे -रेशे !
shubhkaamnaayen.
सभी ताँका बहुत ख़ूबसूरत और भावपूर्ण लगा! बेहतरीन प्रस्तुती!
मुझे सभी ताँके बहुत अच्छे लगे. डॉ. हरदीप कौर सन्धु जी को बहुत बहुत बधायी.
उमेश मोहन धवन
13/134, परमट कानपुर
बहुत सुंदर और भाव पूर्ण रचना ....
बहुत ही ख़ूबसूरत , भाव पूर्ण ताँका !
हार्दिक बधाई !!
बहुत ख़ूब
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