ज्योत्स्ना प्रदीप
1-सेदोका
1
नव ऊषा हो
या दिवसावसान,
वो तेरे मंत्र गान ,
उगलते थे,
समृद्धि सुख- राशि
पिता ही काबा,काशी |
-0-
2-ताँका
1
निकला नहीं
माँ का सीमंत -सूर्य
जिस पल से
एक रात गहरी,
उसमे आ ठहरी |
2
पाला था जिन्हे
वो ही बने पालकी
उठाते देह ,
मन व्यथित ,क्लान्त
पिता पड़े थे शान्त |
-0-
4 टिप्पणियां:
बेहतरीन सेदोका और ताँका ज्योत्स्ना प्रदीप जी.....बहुत-२ बधाई !
बहुत गहरे ..भाव पूर्ण सेदोका और ताँका ...ज्योत्स्ना जी ..हार्दिक बधाई !!
नमन आपकी लेखनी को ..आपको !!
सादर
ज्योत्स्ना शर्मा
apake tankka aur sedoka bahut hi bhavpurn hain. jyotsna ji apko badhai.
pushpa mehra.
KRISHNA JI , JYOTSNAJI.PUSHPA JI ,..PROTSAHAN KE LIYE ABHAAR .
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