1-डॉ० हरदीप सन्धु
1
सब गीत पुराने हैं
संग चलो गाएँ
पल आज सुहाने हैं ।
संग चलो गाएँ
पल आज सुहाने हैं ।
2
अब दर्द दवाई
है
सुधि बीते पल की
आँखें भर आई
है ।
3
दुखड़ों की खाई है
छुपकर रोने की
किस्मत ये
पाई है ।
4
ये खेल लकीरों के
मिलकर फिर
बिछुड़े
निर्णय तकदीरों के ।
-0-
2-रामेश्वर
काम्बोज ‘हिमांशु’
1
जीवन भर पाँव जले
चैन मिला तेरे
आँचल की छाँव -तले ।
2
ये हाथ न छूटेगा
बन्धन जन्मों का
पल में ना टूटेगा ।
3
सागर तिरके आए
तट पर जब पहुँचे
तुमसे ना मिल पाए ।
4
कितना अँधियारा है !
तुम जो पास रहो
हर पल उजियारा है ।
5
हम चाहे भूल करें
तेरा दिल दरिया
खुशबू औ फूल भरे ।
6
कितने हम जनम धरें !
नेह मिला इतना
सौ-सौ घट रोज़ भरें।
7
जग का दस्तूर यही
जो तुमने चाहा
रब को मंजूर नहीं ।
8
जीभरके कब देखा
दो पल को आए
बनके शम्पा -रेखा ।
-0-
15 टिप्पणियां:
बहुत ही प्यार्र और खुबसूरत हैं दोनों के माहिया !
अब दर्द हवाई है...........
कितने सुन्दर शब्दों में पीड़ा को पिरोया है
बधाई हो इन सुन्दर प्रस्तुतियों के लिए
जीवन भर पांव जले........
और
जी भर कर कब देखा.............
अद्वितीय प्रेम और पीड़ा से सराबोर रचनाएँ
बधाइयाँ सर
4
कितना अँधियारा है !
तुम जो पास रहो
हर पल उजियारा है ।
Very very positive and inspiring Mahiya..all are really full of deep meaning stored within
sab geet purane hain,........... va kitane hum janam dharein ............
bahut sunder panktiyan hain.bahan hardeep ji aur bhai kamboj ji ap don ko badhai.
pushpa mehra.
जीवन के उतार-चढ़ाव को परिभाषित करते हुए सभी माहिया एक से बढ़ कर एक। यूँ भी हरदीप जी और आदरणीय रामेश्वर जी तो इस विधा में सिद्धहस्त हैं, उनकी प्रशंसा में कुछ कहना मानो सूरज को दिया दिखाना हो
सादर
मंजु
अति सुन्दर भावपूर्ण हैं सभी माहिया आप दोनों को बहुत-२ बधाई !
अति सुन्दर माहिया ! आप दोनों को बहुत - बहुत बधाई !
बहुत खूबसूरत माहिया हैं सभी...किसकी तारीफ़ करें, किसे छोड़े...|
हार्दिक बधाई...|
bahut bhaav puurn maahiyaa hain ...दर्द दवाई ..., किस्मत ..और निर्णय तकदीरों के ..अनुपम हैं ..हरदीप जी बहुत बहुत बधाई !
नमन काम्बोज भाई जी ..यूँ तो सभी माहिया एक से बढ़कर एक ..लेकिन ...
....जीवन भर पाँव ,..कितना अँधियारा है ,..जी भर के कब देखा .बेहतरीन लगे ..हार्दिक बधाई !
बहुत मन भावन माहिया हैं , ये खेल लकीरों के
मिलकर फिर बिछुड़े
निर्णय तकदीरों के ।
कितने हम जनम धरें !
नेह मिला इतना
सौ-सौ घट रोज़ भरें।
यह दोनों तो विशेष लगे | बधाई और धन्यवाद आप दोनों का |
मन भावन माहिया ,
कितने हम जनम धरें !
नेह मिला इतना
सौ-सौ घट रोज़ भरें।
ये खेल लकीरों के
मिलकर फिर बिछुड़े
निर्णय तकदीरों के । बहुत गहरे अर्थ लिए हुए | बधाई आप दोनों को |
ये खेल लकीरों के
मिलकर फिर बिछुड़े
निर्णय तकदीरों के ।
कितने हम जनम धरें !
नेह मिला इतना
सौ-सौ घट रोज़ भरें।
यह माहिया आप दोनों के विशेष लगे . आप दोनों इस विधा में पारंगत हैं . सारे माहिया गहराई लिए मन भावन हैं .
आपदोनों को हार्दिक बधाई .
Bahut sundar bhav sabhi rachnaon ke bahut bahut badhai...
जग का दस्तूर यही
जो तुमने चाहा
रब को मंजूर नहीं ।
सब गीत पुराने हैं
संग चलो गाएँ
पल आज सुहाने हैं ।
himanshu ji ,hardeepji ...sadar naman....bahut bhaavpurn ,manmohak v jeevan ki sachchai ko darshate khoobsurat mahiya ...
badhai aap dono ko.
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