अनिता मंडा
1
बढ़ती आएँ
सागर की
लहरें
किरणों से
मिलने,
भूरे से
वस्त्र
रख दिए
धुलने
भोर ने
उतारके।
2
भोर है आई
पूरब में
लालिमा
किरणों ने
फैलाई
धीरे से
हिली
ओस नहाई
कली
मँडराई
तितली।
3
रवि-किरणें
लेके गई
विदाई
धीमे से
रात आई,
मुँह लटका
सूर्यमुखी
उन्मन
अब है कुम्हलाई।
4
आई रात तो
पलकों के
भीतर
ख्वाबों
की तह खोली,
किसने
तोड़ी
चुभती
सिलवटें
आँखों में
रात भर।
-0-
15 टिप्पणियां:
पलकों के भीतर ख़्वाबों की तहों को खोलना
वाह बहुत सुन्दर भाव अनिताजी
बधाई
यूं ही लिखती रहिए अनोखे अंदाज में
पलकों के भीतर ख़्वाबों की तहों को खोलना
वाह बहुत सुन्दर भाव अनिताजी
बधाई
यूं ही लिखती रहिए अनोखे अंदाज में
Sundar abhivyakti...badhai..
Bahut sundar aur anokhi ahivyakti hai.badhai
Bahut sundar aur anokhi ahivyakti hai.badhai
ओस नहाई कली
मँडराई तितली। bishesh haen
sbhi ek se badhakar ek haen sedoko
anitaa badhai .
मेरे सेदोका को यहां स्थान देने हेतु आभार। आप सभी का आभार मेरा उत्साह बढ़ाने के लिए।
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति अनीता जी...बधाई।
सभी सेदोका बहुत ही भावपूर्ण एवं सुंदर । इसका तो जवाब नहीं ! ह्रदय से बधाई अनिता !
आई रात तो
पलकों के भीतर
ख्वाबों की तह खोली,
किसने तोड़ी
चुभती सिलवटें
आँखों में रात भर।
भोर से रात्रि तक का सुंदर वर्णन अनिता जी, बधाई
वाह वाह अनीता जी भाव भरे सेदोके कहे हैं । बधाई
बहुत ख़ूबसूरत ..हार्दिक बधाई अनिता जी !
अनीता जीअच्छे लगे सारे सेदोका ।सुन्दर अभिव्यक्ति नई कल्पना जैसे भूरे से वस्त्र ... रात का मुँह लटकाना ... बड़िया मानवीकरण । ख्वाबों की तह खोली आदि ।हार्दिक बधाई।
आई रात तो
पलकों के भीतर
ख्वाबों की तह खोली,
किसने तोड़ी
चुभती सिलवटें
आँखों में रात भर।
bahut sundar ! bhor se raaeri tak ka khoobsurat varnan ...sundar srajan ke liye bahut -bahut badhaiyaan anita ji !
बहुत सुन्दर सेदोका...हार्दिक बधाई...|
एक टिप्पणी भेजें