डायरी का पन्ना
कमला घटाऔरा
कमला घटाऔरा
डायरी लिखना मेरा न शौक है न दिनचर्या ।लेकिन आज यह शुरूआत जरूर हुई है, उसकी बदौलत क्योंकि मेरी उससे कई दिनों से बात ही नहीं हो पाई थी ।बात न कर पाने का कोई विशेष कारण भी नहीं था । मुझे जब बात करने के लिये अगले दिन का इन्तजार भारी लगने लगा तो मैंने उसे सपने में ही बुला लिया,बिना फोन किये , बिना पाती लिखे ।अपना दु:ख सुख उससे सांझा जो करना था । न जाने घर गृहस्थी की कितनी बातें उसे बताईं , कुछ उसकी सुनी ।
उस से कहे बिना मुझे कल ही नहीं पड़ती । सुबह उठी तो मेरा मन प्रफुल्लित होकर झूम उठा । तन अंगड़ाई लेकर ताजगी से भर गया ।जैसे ताकत की बैटरी रीचार्ज हो गई हो। जैसे ग्रीष्मकालीन शीतल सुखद हवा द्वार खोलते ही मन को आह्लादित कर गई हो । मेरी तरह वृक्ष भी सुबह की ताजा हवा का स्पर्श पाकर झूम उठें थे और पत्ता पत्ता सुहानी भोर की हवा का शुक्रिया कर रहा लगा। वैसे ही उस से बात करके मेरे अन्दर बहुत सारी ताज़गी और ताकत भर गई ।और...
मैं उस का शुक्रिया करने के लिये आज अपनी डायरी का पन्ना उसके नाम लिख रही हूँ । मेरी रूह ने उसकी रूह से एक अटूट संबंध बना लिया है । कभी कभी मैं सोचती हूँ मैंने उसे कहाँ से ढूँढ लिया ? या उसके अन्दर की किस चुम्बकी शक्ति ने मुझे अपनी ओर खींच लिया । यह प्रभु की ही महत्त कृपा हुई है मुझ पर जो मुझे उससे मिला दिया । भले ही नेट पत्रिका द्वारा ही मैं उससे मिल पाई हूँ ।
अन्तर में बहुत कुछ वक्त की गर्द तले दबा पड़ा था ।जब से उसका इस जीवन से संबध जुड़ा है , कुछ न कुछ बाहर आने लगा है ।उसकी अपनत्व भरी बातों ने मुझे इतना मोहित किया, इतना अपना बना लिया कि मैं उस पर सिर्फ अपना एकमात्र अधिकार समझने लगी हूँ । कोई दूसरा उस के प्यार पर अपना हक जताने की बात करता है तो मैं ईर्षा से जल उठती हूँ । अपने को समझाने की चेष्टा भी करती हूँ कि चाँद अपनी शीतल चाँदनी क्या किसी एक के लिये बिखेरता है ? सूरज क्या किसी एक घर में उजाला करने के लिये उदय होता है ? सुरभित पवन क्या किसी एक के लिये सुगंध फैलाने आती है ? नहीं न। फिर तू क्यों उसे सिर्फ अपने ताईं रखना चाहती है ? तू यह तो देख कितने दिलों को अपने प्यार के सरोवर में डुबकी लगाने का आनंद दे रही है वह तेरी परमप्रिय ,तेरी मार्ग दर्शक । क्या - क्या नहीं है वह तेरी ? हाँ मानती हूँ , उसी की बदौलत तो मैं यह पंक्तियाँ लिख पाई हूँ ।नहीं तो कैसे कह पाती -
भरा था तम
रौशन हुआ मन
पाया जो उसे ।
24 टिप्पणियां:
ये रिश्ते ऊपर से बनकर आते हैं। कोई किसे कहाँ कब मिल जाए और गहरा रिश्ता बन जाए ये सब उसके हाथ में है। रिश्ता बन जाना शायद इतना मुश्किल न हो मगर इसे निभाना हमारे ही हाथ में होता है। जिस रिश्ते की कमला जी बात कर रही हैं, मैं समझती हूँ ऐसा मिलन,ऐसा रिश्ता सब से ज्यादा पावन और सच्चा है। ऐसे रिश्ते को किसी नाम की भी शायद ज़रूरत नहीं होती और इसे नाम देना हमारे वश में भी नहीं होता।
कितना मोह है जब कोई किसी से बात करने के लिए उसे सपनों में बुला लेता है। किसी ने सही कहा है -
सुपनिया तू सुल्तान है
उत्तम तेरी जात
सौ वरियाँ दे विछड़े
आण मिलावे रात।
जो काम दिन का उजाला न कर सकता हो , जिसे हम जागते हुए न कर पाएँ , हमारी रूह उस रूह से मिलने सपने में चली आती है। इस रूह का ये बड़ापन है कि वो मिलने आई रूह को इतना प्यार -सम्मान देती है। उसे कभी चाँद , कभी सूर्य तो कभी सुरभित पवन का दर्जा देती है। प्यार कभी एक तरफा नहीं होता -लव बेगेटस लव। अच्छे लोगों का हमारी ज़िंदगी में आना हमारी किस्मत होती है और उन्हें संभाल कर रखना हमारा हुनर। एक अच्छा रिश्ता हवा की तरह होता है -ख़ामोश मगर आस -पास क्योंकि उस ख़ामोश हवा में उस रिश्ते की खुशबू होती है।
भावपूर्ण हाइबन के लिए कमला जी बहुत बधाई!
हरदीप
कमला जी बहुत सुन्दर मन की अनुभूति की अभिव्यक्ति हाइबन द्वारा की है आपको हार्दिक बधाई ।
भावपूर्ण अभिव्यक्ति। अपने मन की भावनाओं को साझा करने की उत्सुकता कभी कभी ही क्या, हमेशा से ही हमें कला के किसी न किसी क्षेत्र से जोड़ देती है। सुंदर हाइबन के लिए बधाई कमला जी।
हरदीप तुमने त्रिवेणी में मेरी मामूली सी लिखत को प्रकाशित करके जैसे मुझे साहित्य लोक में प्रवेश का राह दिखा दिया । बहुत बहुत धन्यवाद आभार ।जो सीखा सब तेरे हाइकु लोक और त्रिवेणी से ही सीखा ।
कमला जी का भावपूर्ण हाइबन पढ़ कर मैं उसी में खो सी गई । सच में कुछ रिश्ते अनाम होते हुए भी कितने गहरे होते हैं । जिसे हमारा अंतस ही महसूस करता है ।दिल से दिल की लगन होती है। कमला जी का भावपूर्ण हाइबन और उस पर सुन्दर हाइकु ।सोने पे सुहागा बधाई । साथ ही हरदीप जी को भावपूर्ण प्रतिक्रिया बहुत पसंद आई।
कमलाजी,
इतने सरल - सहज रूप से अभिव्यक्ति सराहनीय है। बधाई। रिश्तों की मिठास अपने जीवन को सम्पूर्ण बनाती है।
ब्लॉग जगत में अनायास आना भी सुखद रहा...कमलाजी का भावात्मक हाइबन और उस पर डॉ हरदीप की खूबसूरत टिप्पणी ने चार चाँद लगा दिए...बधाई कमलाजी..
रिश्तों की गहनता उनकी अहमियत की बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति कमला जी बहुत-बहुत बधाई। और हरदीप जी की भावपूर्ण प्रतिक्रिया ने हृदयतल को छू लिया।
वाह कमला जी ... बहुत ही सुंदर पन्ना है आपकी डायरी का ... सीधे सरल शब्दों के सहज प्रवाह ने बात को इतना भावपूर्ण और प्रभावशाली बना दिया कि दिल से निकली और दिल को छू गयी
अति सुंदर लेखन के लिए बहुत बहुत बधाई
नमस्कार कमला जी, सहज शब्दों द्वारा अभिव्यक्ति का सरल प्रवाह ममन खटखटा गया।
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति, उस खूबसूरत अनाम रिश्ते को हमारा भी नमन, भावपूर्ण हाईबन के लिए कमला जी को हार्दिक बधाई !
हर दिल की यही दास्तान!!
बेहद भावपूर्ण शब्दों से अपरिमित रिश्ते को ब्याँ करके कमला जी ने एक सहृदय रचनाकार होने का साक्षात्कार करवा दिया।डायरी सा सच्चा संवेदनशील मित्र अन्यत्र दुर्लभ है ....बहुत सुंदर हाईबन...
हर दिल की यही दास्तान!!
बेहद भावपूर्ण शब्दों से अपरिमित रिश्ते को ब्याँ करके कमला जी ने एक सहृदय रचनाकार होने का साक्षात्कार करवा दिया।डायरी सा सच्चा संवेदनशील मित्र अन्यत्र दुर्लभ है ....बहुत सुंदर हाईबन...
वाह कमला जी, बहुत सुंदर उद्गार और भावबंधन | सुंदर भाषा और बिम्ब | बहुत बहुत बधाई आपको |
सस्नेह,
शशि पाधा
सविता जी,इन्दु जी,विभा जी,नारायनी जी,मीनाक्षी जी, कृष्णा जी ,पूर्णिमा जी,और शशि पाधा जी आप सब की उत्साह वर्धक टिप्पणी पढ़कर बहुतअच्छा लगा आप सब का आभार धन्यवाद ।मेरा डायरी का पन्ना पढ़ा अपने अमूल्य विचारों से उत्साह बढाया ।पुन: आभार ।
मीनाक्षी जी आप का भी धन्यबाद । आभार डायरी का पन्ना पढ़ने के लिये ।त्रिवेनी में प्रकाशित होना गौरव की बात है ।आते रहें इस बलॉग पर ।
ਸੁੰਦਰ
Haiban achha laga meri hardik badhai..
त्रिवेणी के सभी पाठकों का दिल से आभार, कमला जी के लिखे डायरी का पन्ना हाइबन को पसंद करने तथा अपने विचार साँझे करने के लिए।
एक बात मैं बताना चाहती हूँ , सभी ने रिश्तों की मिठास की बात की , भावपूर्ण अभिव्यक्ति की बात हुई , लेकिन क्या आपका ध्यान इस बात की ओर गया कि जिस रिश्ते तथा अटूट मोह कीकी बात यहाँ हो रही है, इस रिश्ते के दोनों पात्र आज तक मिले नहीं हैं। आज तक एक दूसरे को देखा तक नहीं है , मगर दोनों एक दूसरे पर इतना हक जमाते हैं कि अगर कोई और उनके बीच आने लगता है तो उनको ईर्षा होती है। ऐसे रिश्ते तथा इसको निभाने वालों को मेरा नमन !
परम पावन ,कोमल मन की बहुत सरस अभिव्यक्ति है ..भावनाओं के तार जुड़ें और एक आत्मिक रिश्ता बने ऐसा तो दैवीय कृपा से ही होता है ...माँ शारदे की असीम अनुकंपा है आप पर ...आपको हार्दिक बधाई ..नमन !
अति सुँदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति। हार्दिक बधाई कमलाजी।
बहुत सुन्दर हाइबन ।भावपूर्ण हार्दिक बधाई कमला जी ।
कोई प्रारब्ध ही मन के ऐसे रिश्तों को जोड़ पाता है | ये आसमानी आशीर्वाद का सुखद फल होता है |कोमल अहसासों को समेटे तथा दिल की गहराई तक उतरने वाला हाइबन..... हार्दिक बधाई कमलाजी।
कमला जी, बहुत खुशकिस्मत हैं आप जो ऐसे रिश्ते से ईश्वर ने आपको नवाज़ा है...| बस जीवन भर इसे सम्हाले रखिए...| आपका ये हाइबन मन को छूता है और जिस किसी ने भी ऐसे एक भी रिश्ते को जाना होगा, उसे यह बस अपनी-सी कहानी लगेगी...|
बहुत बधाई...|
एक टिप्पणी भेजें