1-कृष्णा वर्मा
1
सूरज जब सर
चढ़ता
मौसम का
तेवर
दहशतगर्दी
करता।
2
ऐंठी बैठी
गरमी
हठ ना छोड़
रही
कैसी यह
बेशरमी।
3
बरसी गरमी
खुलके
रोगी
हुई हवा
फूलों के
मुख झुलसे।
4
भानु
थका घर जाए
लहरा तम
उतरे
शीतलता छा जाए।
-0-
2-डॉ सरस्वती माथुर
1
आतुर होके
यादें उड़ती गईं
जाल को बिछाकर
मन सिंधु में
नाव बन तैरती
लग गई किनारे।
2
पपीहा बोला
अमराइयों में तो
मेरे आस पास में
मन ने देखा
पुरवा में उड़ती
तुम्हारी ख़ुशबू थी ।
-0-
15 टिप्पणियां:
गर्मी का चित्रण करते मोहक माहिया और सुंदर भावपूर्ण सेदोका !
दोनों रचनाकारों को हार्दिक बधाई !!
गरमी का ऐंठ कर बैठना और मौसम की दहशतगर्दी... वाह बहुत ही सुंदर उपनाम है कृष्णा जी
सरस्वती जी यादें जाल भी, यादें नाव भी और यादें ख़ुशबू भी ... वाह बहुत सुन्दर
सादर
मँजु
कृष्णा जी गर्मी के मौसम को बखूबी दर्शाते सुन्दर माहिया रचे हैं ।सरस्वती जी यादें जाल बन सिंधु में नाव सी तैरती किनारे लगी ।खूबसूरत सेदोका रचा है ।दोनों रचनाकारों को हार्दिक बधाई ।
गर्मी के तेवर दिखाते माहिया और यादों पर लिखे सेदोका सुंदर हैं|कृष्णा जी व माथुर जी बधाई |
पुष्पा मेहरा
सुंदर भावपूर्ण माहिया एवं सेदोका।
कृष्णाजी,सरस्वती जी हार्दिक बधाई।
बहुत खूबसूरत सेदोका सरस्वती जी बहुत बधाई।
कृष्णा जी के माहिया और सरस्वतीजी के सेदोका दोनों सुंदर। बधाई दोनों रचनाकारों को
कृष्णा जी एवं सरस्वती जी बहुत सुंदर सृजन!!
कृष्णा जी एवं सरस्वती जी बहुत सुंदर सृजन!!
कृष्णा जी एवं सरस्वती जी बहुत सुंदर सृजन!!
कृष्णा जी एवं सरस्वती जी बहुत सुंदर सृजन!!
sundar rachnayen meri badhai...
सुंदर भावपूर्ण माहिया एवं सेदोका।कृष्णाजी,सरस्वती जी हार्दिक बधाई।
बहुत सुन्दर...आप दोनों को मेरी बधाई...|
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