शशि पाधा
1
क्यों रुक ना
पाते हो
पवन झकोरे से
क्यों आते जाते
हो ।
2
क्यों तुमने
रोका ना
मन के द्वारे पर
क्यों मुझको
टोका ना ।
3
बंधन की डोरी से
बाँध ना पाऊँगी
अब ज़ोराजोरी से ।
4
हम तो बंजारे हैं
रुकना ना जाने
आदत के मारे हैं ।
5
जानूँ -पछताओगे
मन की भटकन से
खुद लौट के आओगे ।
6
हम मन के सच्चे हैं
धागे बंधन के
कुछ तेरे कच्चे हैं ।
7
भरमाते रहते हो
झूठी बातों से
तरसाते रहते हो ।
8
लो मान लिया हमने -
अब ना लौटेंगे
बस ठान लिया हमने ।
-0-
15 टिप्पणियां:
जीवन के यथार्थ को कहीं शिकायत करते हुए , कहीं व्यंग्य करते हुए मनमोहक माहिया ।
बधाई
जीवन के यथार्थ को कहीं शिकायत करते हुए , कहीं व्यंग्य करते हुए मनमोहक माहिया ।
बधाई
हम मन के सच्चे हैं
धागे बंधन के
कुछ तेरे कच्चे हैं ।
शशि जी सभी माहिया मनभावन हैं ।
सरस माहिया के लिए बहुत बधाई ।
सस्नेह विभा रश्मि
हम मन के सच्चे हैं
धागे बंधन के
कुछ तेरे कच्चे हैं ।
शशि जी सभी माहिया मनभावन हैं ।
सरस माहिया के लिए बहुत बधाई ।
सस्नेह विभा रश्मि
बहुत अच्छे माहिया शशि जी बधाई
भरमाते रहते हो
झूठी बातों से
तरसाते रहते हो ।
बेहतरीन सत्य...
हम तो बंजारे हैं
रुकना ना जाने
आदत के मारे हैं ।
बहुत सही कहा आपने ।सभी माहिया दिल को छूने वाले हैं
बहुत- बहुत बधाई।
बहुत सुन्दर, सरस माहिया शशि जी बधाई!
हम तो बंजारे हैं
रुकना ना जाने
आदत के मारे हैं ।...... बहुत सुंदर रचनाएं शशि जी।
शशि जी बहुत सुंदर भावपूर्ण माहिया
बंधन की डोरी से
बाँध ना पाऊँगी
अब ज़ोराजोरी से ।
सभी माहिया बहुत सुंदर
शशि जी, जीवन की वास्तविकता से पूर्ण बहुत सुन्दर भावों से ओत प्रोत माहिया हैं हार्दिक बधाई ।
क्यों तुमने रोका ना
मन के द्वारे पर
क्यों मुझको टोका ना ।
अक्सर हम अपने प्रिय द्वारा पुकारे जाने के इंतज़ार में इतना दूर आ जाते हैं कि लौटना नामुमकिन लगने लगता है | सभी माहिया बहुत अच्छे हैं, पर यह वाला बहुत भाया...| हार्दिक बधाई...|
माहिया पसंद करने के लिए एवं अपनी अपनी पसंद के माहिया इंगित करने के लिए आप सब का आभार |
सस्नेह,
शशि पाधा
शशिजी बहुत सुंदर माहिया। मन को छू गए।
शशि जी बहुत भावपूर्ण माहिया !!
बंधन की डोरी से
बाँध ना पाऊँगी
अब ज़ोराजोरी से ।
बहुत सुंदर!!! हार्दिक बधाई...|
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