सोमवार, 10 अक्तूबर 2016

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अरमानों का लिफ़ाफ़ा
प्रेरणा शर्मा
जश्न का अरमान दिल में लिये एक-एक पल की डोर को थामे जिंदगी आगे बढ़ती जा रही थी। आशा की मज़बूत डोर के सहारे ही पहाड़ सी कठिनाइयों पर भी विजय पा ली थी। आगे बढ़ने की ललक ने पीछे मुड़ने की मोहलत ही कहाँ दी ! सपनों के महल अरमानों की रोशनी से जगमग हो  सदा उत्साहित जो करते रहे। पर आज अचानक जिंदगी ठिठक- सी क्यों रही है?
बेटे की शादी का समाचार पाकर यह ठहर- सी क्यों रही है?
यही तो वह अरमान था जिसका बल मुझे सम्बल देता था। आज यह संबल मुझे बलहीन क्यों बना रहा है?
विचारों की गर्मी से गात शिथिल क्यों हुआ जा रहा है?"
सोचते हुए अतीत के साकार होते ही नयन सावन-मेघ बन झड़ी लगाने को आतुर हो उठे थे। सोच के समुद्र में डूबती हुई विचारों के भँवर-जाल में उलझती ही जा रही थी कि अचानक याद आया- शादी की तारीख़  तो आज ही है।
मन को समझाती हूँ-बहू मैंने पसंद न की सही ; है तो चाँद का टुकड़ा ।
आख़िर बेटे की पसंद कोई कम तो नहीं है। शादी के बाद उसे ही दुल्हन का जोड़ा पहना सजा लूँगी।
बेटे की पसंद पर ना होने लगा है और आज आस की डोर फिर मज़बूत होती दिखाई दे रही है। मोबाइल में वीडियो कॉल करती हूँ। मैंने दिमाग़ के पट बंद कर दिल के द्वार खोल दिए हैं।  बेटे की तरक़्क़ी और सुखी जीवन की कामनाओं का संदेश भेजते हुए अपने अरमानों का लिफ़ाफ़ा भी मैंने उसे ही सौंप दिया है। मन के भाव होंठों पर आ गीत बन गए हैं और मैं गुनगुना रही हूँ- चंदा है तू मेरा सूरज है तू ------।
तू ऊँचा उड़े
पंख बनें अरमाँ
मेरे दिल के।
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11 टिप्‍पणियां:

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

बहुत अच्छा हाइबन...| एक माँ के मन की दुविधा और उसका एक सार्थक समाधान बड़ी खूबसूरती से दर्शाया गया है...| हार्दिक बधाई...|

Dr.Purnima Rai ने कहा…

हृदयस्पर्शी!!

Dr.Purnima Rai ने कहा…

हृदयस्पर्शी!!

Pushpa mehra ने कहा…

वास्तव में अपनी सन्तान के सुख के लिए ,परिस्थितियों के अनुरूप सहर्ष अपने आप को ढालकर, उससे समझौता करना एक कोमल हृदया माँ के लिए ही सम्भव होता है जिस भाव को अपने हाइबन के माध्यम से भलीभाँति निभाया है|
बधाई
पुष्पा मेहरा

Prerana ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद , व नमन !प्रियंका जी ,पुष्पा जी,पूर्णिमाजी व काश्मीरी लाल जी ।

Anita Manda ने कहा…

बहुत सुंसर, भावपूर्ण हाइबन, बधाई

Unknown ने कहा…

आहा

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

बहुत भावपूर्ण हाइबन ! दिल के ही द्वार खोलकर अपनाना चाहिए ...
बहुत बधाई!

~सादर
अनिता ललित

ज्योति-कलश ने कहा…

दिल को गहरे छूता सुन्दर हाइबन ..हार्दिक बधाई !

सविता अग्रवाल 'सवि' ने कहा…

प्रेरणा जी बहुत सामयिक हाईबन है आज हरेक माँ के मन की स्तथि को सुंदरता से प्रस्तुत किया है आपने ।हार्दिक बधाई ।

Jyotsana pradeep ने कहा…


प्रेरणा जी ..बहुत भावपूर्ण हाइबन ! हार्दिक बधाई !!!