रविवार, 27 अगस्त 2017

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1-कृष्णा वर्मा
1
बादल कारे 
अम्बर के नैन भरे 
उछल पड़े धारे
प्रीतम दूर 
प्रिय का चैन डूबा 
टूटे सब्र किनारे।
2
नभ में घन 
छाते हैं जब-जब
गीत मग्न हो जाते 
गा मल्हार
रिझाए सजनिया
प्रिय दूर मुस्काते।   
3
बूँदें झरतीं 
वृक्ष कहें स्वागत 
धन्य होए धरती 
प्यासे चातक 
की, आस तृप्त होती
बदली जब रोती।  
4
बदरी छाई
पहन के पायल 
हवा छनछनाई 
जी तड़पाएं 
गा-गा कर मल्हारें
प्रीत भरी फुहारें।
5
सजीले मेघ
लगा काजल धार
हृदय भर प्यार
चले भिगोने
धरती का आँचल
तन मन निसार।
6
ताके अडोल
काली-काली बदली
लिये पानी के डोल
बरसूँ कि ना 
सोचती दुविधा में
है मिज़ाजन बड़ी

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8 टिप्‍पणियां:

Vibha Rashmi ने कहा…

बदरी छाई
पहन के पायल
हवा छनछनाई
जी तड़पाएं
गा-गा कर मल्हारें
प्रीत भरी फुहारें।
कृष्ण वर्मा जी के वरखा के मनभावन भीगे सेदोका । बधाई लें ।

Sudershan Ratnakar ने कहा…

कृष्णाजी काले बादल और वर्षा की बूदों का सुंदर सजीव वर्णन ।बधाई।

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

वर्षा पर बहुत मनभावन सेदोका. सभी बहुत सुन्दर, बधाई कृष्णा वर्मा जी.

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

सजीले मेघ
लगा काजल धार
हृदय भर प्यार
चले भिगोने
धरती का आँचल
तन मन निसार।
बहुत प्यारे सेदोका हैं, जिनमे से ये सबसे प्यारा लगा...|
हार्दिक बधाई...|

Unknown ने कहा…

कृष्णा वर्मा जी बहुत ही सुन्दर छनछनाते रसीले वर्षा के सेदोका लेकर आईं आप ।मन को शब्दों ने वर्षा की बदली बन भिगो भिगो दिया । मल्हार जैसे कानों में गूँज उठा ।
हार्दिक बधाई ।

Dr.Purnima Rai ने कहा…

आदरणीया..बेहतरीन सेदोका...

Anita Manda ने कहा…

वाह, बेहतरीन सेदोका।

ज्योति-कलश ने कहा…

बहुत सुन्दर सेदोका हैं दीदी ...हार्दिक बधाई !