डॉ ज्योत्स्ना शर्मा
1
जीवन तो होम किया
पर जिद ने मेरी
पत्थर को मोम किया।
2
कब दुख से घबराए
तानों के पत्थर
हरदम हमने खाए ।
3
धीरज तो खोता है
पत्थर के दिल में
सोता भी होता है।३
4
हाथों से छूट गया
पाहन से लड़कर
मन-दर्पण टूट गया।
5
माला अरमानों की
देकर चोट गढ़ी।
मूरत भगवानों की।
6
ना कहती ,ना सुनती
पाहन पीर हुई
बस अँधियारे बुनती।
7
अरमान नहीं दूजा
चाहत में तेरी
हर पाहन को पूजा ।
8
सब शिकवे भूल मिले
फिर तुमसे मिलना
पत्थर पर फूल खिले ।
-0-
21 टिप्पणियां:
इस स्नेह और सम्मान के लिए हृदय से आभार आपका !
यहाँ स्थान देने के लिए सम्पादक द्वय के प्रति भी बहुत आभारी हूँ !
सुंदर
ज्योत्सना जी पत्थर को लेकर कितने सुन्दर माहिया रचे आपने । सभी मुझे बहुत पसंद आए । बधाई और स्नेह ।
सुरेन्द्र वर्मा |बहुत सुन्दर, प्यारे माहिया |
सभी माहिया बेहद सुंदर ज्योत्स्ना जी बहुत-बहुत बधाई।
बाकमाल माहिया ज्योत्स्ना जी ।पाहन और नारी दोंनों को एक सा सहन करना पड़ता है । नारी बाहर से कोमल तो अन्दर से पाहन की तरह मजबूत है ,इसी तरह पाहन बाहर से सख्त और अन्दर से रस का स्रोत यानी कोमल होता है तभी तो मूर्ति का रूप ले पाता है ।
सभी माहिया बहुत बढ़िया ...एक से बढ़कर एक..
बहुत-बहुत बधाई ज्योत्स्ना जी !
आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' ०९ अप्रैल २०१८ को साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक में लिंक की गई है। आमंत्रण में आपको 'लोकतंत्र' संवाद मंच की ओर से शुभकामनाएं और टिप्पणी दोनों समाहित हैं। अतः आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।
निमंत्रण
विशेष : 'सोमवार' ०९ अप्रैल २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने साप्ताहिक सोमवारीय अंक में आदरणीय 'रवींद्र' सिंह यादव जी से आपका परिचय करवाने जा रहा है।
अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
बहुत सुंदर माहिया
सुन्दर , प्रेरक उपस्थिति के लिए आदरणीय डॉ. सुरेन्द्र वर्मा जी , आ. कमला दीदी , आ. कृष्णा दीदी ,अ. विभा दीदी , प्रिय सखी ज्योत्स्ना जी, डॉ. सुषमा जी , मंजूषा मन जी एवं ध्रुव सिंह जी के प्रति हृदय से आभारी हूँ !
सादर
ज्योत्स्ना शर्मा
बहुत ख़ूब ...
पाषाण के ताने बाने में बुने लाजवाब महिए ... कमाल का भाव है हर छन्द में गेयत और मिलते हुए क़ाफ़ियों के साथ ...
बहुत सुंदर माहिया ज्योत्स्ना जी! मन को छू गए!
~सादर/सस्नेह
अनिता ललित
bahut-bahut aabhaar aa. Digamber Naswa ji evam priy sakhi Anita Lalit ji !
बढिया पेशकश
सभी माहिया काव्य शिल्प बद्ध हैं,नं.१-२ विशेष लगे ,ज्योत्स्ना जी बधाई |
पुष्पा मेहरा
प्यारे से माहिया के लिए बहुत बधाई...|
निमंत्रण
विशेष : 'सोमवार' १६ अप्रैल २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने साप्ताहिक सोमवारीय अंक में ख्यातिप्राप्त वरिष्ठ प्रतिष्ठित साहित्यकार आदरणीया देवी नागरानी जी से आपका परिचय करवाने जा रहा है। अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।
इंटरनेट की दुष्टता की वजह से इस पोस्ट पर देर से आना हुआ।
हमेशा की तरह एकदम सधे हुए, उत्तम कहन युक्त माहिये पढ़ अच्छा लगा।
बहुत सुंदर माहिया, ज्योत्स्ना जी हार्दिक बधाई ।🌷🌷🌷🌷
प्रेरक प्रतिक्रिया के लिए आप सभी सुधीजनों का हृदय से आभार !
सादर
ज्योत्स्ना शर्मा
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