सोमवार, 23 अप्रैल 2018

803


हाइबन
1-सुदर्शन रत्नाकर
प्राकृतिक उत्सव
सुबह उठते जैसे ही दरवाज़ा खोला, शीतल ठंडी हवा के झोंके चेहरे को छूते हुए सारे बदन को भी रोमांचित कर गए. नारियल के पेडों की शाखाएँ मस्ती में झूम रही हैं। भोर के होते ही सागर में धीमी गति से उठती-गिरती लहरें दिखाई दे रही हैं। दूर-दूर तक फैला हुआ सागर हरा, नीला, काला, मटमैला दिखाई दे रहा है। चारों ओर शांत, नीरव वातावरण। कहीं भागदौड़ नहीं। गुनगुनी धूप अच्छी लग रही है। सर्दी होने पर भी मौसम सुहावना है। वुडकटर पक्षी का जोड़ा दीवार पर आकर बैठ गया है। , स्वीमिंगपूल में चोंच भर पानी पीकर, फिर डुबकी लगा कर उड़ जाता है। चिडिया का एक जोड़ा अभी भी दीवार पर बैठा है। शायद घोंसला बनाने की जगह ढूँढ रहा है।
पेडों पर बैठे अनगिनत पक्षी अपनी-अपनी आवाज़ में कलरव कर रहे हैं। उनके स्वर में संगीत है, लहरों के उठने-गिरने में संगीत है, हवा की गति में संगीत है। धीरे-धीरे फैलती सूर्य की किरणों में संगीत है। वातावरण की नीरवता में यह संगीत कितना मधुर लग रहा है। मैं घूँट-घूँट कर हवा पी रही हूँ, पक्षियों की छोटी-छोटी उड़ाने देख रही हूँ। यह संगीतमय प्रभात बेला का आनन्द मुझे रोमांचित कर रहा है।
मैं इस प्राकृतिक उत्सव को अपनी आँखों में बसा लेना चाहती हूँ जो मुझे महानगरों की ऊँची इमारतों और भीड़ भरी सड़कों में दिखाई नहीं देगा।
महानगर
लील गए प्रकृति
सपना हुई.
-0-
1-कमला घटाऔरा
1
मात प्रकृति
लगी सजाने नित
धरती बिटिया को
दे दे चुनरी
हरी, कभी सफेद
कभी रंग बिरंगी।
-0-

2-सब तमाशबीन
अनिता ललित
मन ये मेरा
ख़्यालों के जंगल में
फिरे अकेला!
यूँ काँटों में उलझा
है रस्ता भूला!
भटकती निगाहें–
ढूँढ़ें पनाहें!
थकी मैं पुकार के
कोई तो आए
नई आस जगाए
राह सुझाए!
हो ख्व़ाब में ही सही-
हाथ बढ़ाए!
आग का दरिया ये
पार कराए!
गहराते अँधेरे
रात के घेरे
हूक-भरी चिमनी
सन्नाटा चीरे!
ज़िन्दगी ग़मगीन
फ़रेबी साए-
क्या अपने, पराए
सब तमाशबीन!
-0-1 / 16 विवेक खंड, गोमतीनगर, लखनऊ-226010
ई मेल: anita. atgrace@gmail. Com
-0-

14 टिप्‍पणियां:

bhawna ने कहा…

बहुत सुंदर हाइबन सुदर्शन रत्नाकर दी, बेहद सजीव चित्रण।
कमला जी बेहतरीन सेदोका।
अनिता जी दिल छू लेने वाला भावपूर्ण चोका।
सभी को सुंदर सृजन के लिए हार्दिक बधाई व नमन।

भावना सक्सैना

Anita Manda ने कहा…

पृथ्वी दिवस पर प्राकृतिक उत्सव पढ़ आनन्द आ गया। अंधाधुंध विकास ने कितना कुछ छीन लिया विचारणीय है।

कमला जी का सेदोका भी सुंदर।
अनिता ललित जी का चोका भी रोचक लगा।

Unknown ने कहा…

प्रकृतिक वर्णन बहुत रोचक और सुन्दर लगा सुदर्शन जी ।आज प्रकृति की गोद में बैठने का किसी के पास समय ही नहीं सातों दिन हर काम की रूटिन में बंधे रहते हैं । वृक्षों के पास से गुजरती सुगंधित हवा से तन मन को जो ताजगी मिलती है ।वह और कहीं नहीं मिलती । हार्दिक बधाई ।
अनिता जी आप का चोका भी दिल को छू गया ।आज लोग बस तमाशबीन बन कर रह गये हैं ।किसी को संकट में घिरा देख कर मदद नही करते बल्कि मोबाइल से मूवी बनाने लगते है ।दया करूणा की भावना तो है ही नहीं किसी में ।आज की स्थिति का यथार्थ चित्रण है चोके में । मुझे ,मेरे सेदोका का ,जो आप जैसे गुणी रचनाकारों के साथ छपा है ,उसके छपने का गर्व महसूस हो रहा है ।सम्पादक द्वय का आभार ।

Krishna ने कहा…

प्राकृति का बहुत सुंदर चित्रण...सुदर्शन रत्नाकर जी।
कमला जी का सेदोका तथा अनीता ललित जी का चोका बहुत भावपूर्ण।
आप सभी को हार्दिक बधाई।

ज्योति-कलश ने कहा…

सुंदर हाइबन दीदी,बहुत मोहक दृश्य उकेरा आपने!!
आ.कमला दीदी का सेदोका भी बहुत मनोरम है ,अनिता ललित जी का चोका मन को छू गया ।
आप सभी को हार्दिक बधाई!!

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

आदरणीया सुदर्शन दीदी जी...अत्यन्त सुन्दर, मनमोहक चित्रण प्रकृति का!मन को छू गया!हार्दिक बधाई आपको!
आदरणीया कमला जी...बहुत सुंदर सेदोका! हार्दिक बधाई आपको!
मेरे चोका को सराहकर मेरी हौसला अफ़ज़ाई करने के लिए आप सभी सुधीजनों का ह्रदय से आभार!!!
आदरणीय भैया जी एवं प्रिय बहन हरदीप जी का हार्दिक आभार जो मेरे चोका को यहाँ स्थान दिया!!!!

~सादर
अनिता ललित

Sudershan Ratnakar ने कहा…

कमलाजी सुंदर सेदोका, अनिता मनमोहक चोका। बधाई आप दोनों को

Sudershan Ratnakar ने कहा…

मेरा हाइबन पसंद करने के लिए आप सब का हार्दिक आभार

सदा ने कहा…

ज़िन्दगी ग़मगीन
फ़रेबी साए-
क्या अपने, पराए
सब तमाशबीन!
सार्थक और सशक्त लेखन .... बधाई

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

बहुत प्यारी रचनाएँ हैं...| आप सभी को हार्दिक बधाई...|

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

Kya baat hai eak se badhkar eak rachna meri sabhi ko dheron shubhkamnayen...

Vibha Rashmi ने कहा…

प्रिय सुदर्शन जी ने प्रकृति के रंगों को खूबसूरती से हाइबन में पिरोया है । साथ हीं हाइकु भी सटीक है । कमला जी का सुन्दर सेदोका और अनिता का चोका लाजवाब । आप सबको सार्थक सृजन की बधाई ।

नीलाम्बरा.com ने कहा…

आप सभी रचनाकारों को प्रासंगिक लेखन हेतु हार्दिक बधाई एवं शुभेच्छा.

सुनीता काम्बोज ने कहा…

आदरणीया सुदर्शन दीदी, कमला जी ,अनिता जी सुंदर सृजन के लिए आप सबको हार्दिक बधाई ।