घट -स्थापना
डॉ.कविता भट्ट
हे पिता मेरे !
करते हुए आज
घट- स्थापना
स्नेह -जल भरना
घट-भीतर
और अक्षत कुछ
मेरे नाम के
उसमें डाल देना
कुछ जौ बोना
हरियाली के लिए
तरलायित
तरलायित
स्नेह में भिगोकर,
फलेगी पूजा
बिन जप-पूजन
मेरे नाम से
अभिमंत्रित कर
नित्य सींचना
ओ ! मेरे सूत्रधार
गर्भ में बोया
है मुझे तुमने ही
अंकुरित हूँ
अब प्रथम बीज
हूँ शैलपुत्री
बनूँगी
सिद्धिदात्री
ध्यान रखना !
नष्ट नहीं हो जाए
गर्भ में अंकुरण !!
-०-
(चित्र : गूगल से साभार )
(चित्र : गूगल से साभार )
18 टिप्पणियां:
सकारात्मक ऊर्जा लिए चोका।
बहुत सुंदर भाव
'अब प्रथम बीज हूँ ...........नष्ट नहीं हो जाए गर्भ में अंकुरण 'माँ से प्रार्थना स्वरूप बहुत गहरा भाव लिए पंक्तियाँ हैं|कविता जी बधाई
पुष्पा मेहरा
कन्या भ्रूण की पिता से गुहार बहुत ही हृदयस्पर्शी बन पड़ी है। कविता जी बहुत-बहुत बधाई ।
सार्थक रचना कविता जी, बधाई।
बहुत गहन अर्थपूर्ण चोका....कविता जी बहुत बधाई।
आप सभी आत्मीय जनों का हार्दिक आभार।
हार्दिक आभार महोदय।
बहुत ही सारगर्भित , बहुत ही उम्दा चोका ।
हार्दिक बधाई कविता जी
बहुत सकारात्मक सोच बहुत अच्छा लगा पढ़कर बहुत बहुत बधाई
न तो शब्दाडम्बर, न खुल के बात कही
किन्तु लेखनी ने सुना दी खरी-सही
हर गर्भ से जन्म लेगी शक्तिरूपा
पावन गंगा यूँ निर्भय हो कर बही|
इन रचना के माध्यम से कविता ने कन्या भ्रूण हत्या की ओर जन -जन को सचेत किया है| ऐसी रचनाएँ ही कालजयी मानी जायेंगी | बधाई कविता को|
शुभाशीष |
वाह अनुपम, सुंदर!!
बेजोड़ भाव और सहज अभिव्यक्ति , बधाई कविताजी
anupam srijan !
haardik badhaii kavita ji !
अद्भुत सृजन ....
हार्दिक अभिनंदन
अद्भुत कृति.
शानदार लेखन.
हद पार इश्क
कविता का आज के संदर्भ मे सार्थक संदेश है ।देवी उपासना की परम्परा अनादि काल से है सांस्कृतिक पहचान के रूप मे शक्ति की आराधना हमे असीम ऊर्जा प्रदान करती है ।
बहुत ऊर्जा महसूस हुई...हार्दिक बधाई
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