डॉ.भावना कुँअर
1
रोली लेकर
आया अमलतास
औ कचनार
उबटन का थाल
बसन्त दूल्हा आज।
2
हाथ में कूँची
बसन्त लेके घूमें
नारंगी,पीले
गुलाबी,लाल,हरे
कितने रंग भरे।
3
पीली चूनर
कचनार ले आया,
गुलमोहर
गहरा लाल जोड़ा,
हरियाली दुल्हन।
4
गागर मेरी
दर्द से लबालब
कभी न रीती
अपनों ने दी मुझे
गहरी अनुभूति।
5
घर में आए
बनकर वो दोस्त
लगाएँ सेंध
हम भरोसा करें
वो छुप-छुप छलें।
6
मेरी भी प्रीत
थी मीरा जैसी साँची
विष का प्याला
उसने जो पिलाया
हँसी,होठों लगाया।
7
कोसते रहे
रात दिन मुझको
पतझर- सी
मैं झरूँ रात दिन
पर उफ! न करूँ।
8
जलते रहे
उड़ान देख मेरी
काटा परों को
ऊँची उड़ान कभी
अब भर न सकूँ।
9
पानी ही पानी
लील गया कितने
आँखों के ख़्वाब
बेबस लोगों की
कीमती जिंदगानी।
10
खूब ही रोया
जार -जार सावन
फिर भी धूप
हालत पर उसकी
तरस ही न खाए।
11
किसको कहूँ
है कौन यहाँ मेरा
मन की बात
बिन कहे समझे
मेरा दर्द भी बाँटे।
12
मेरा ये मन
पुकारे तुमको ही
तुम हों कहाँ
अपनी दुनिया में
क्यों रहते हो वहाँ।
13
दिन पखेरू
सुख के बन गए
दु;ख बने हैं
लम्बी,काली गहरी
अमावस की रात।
14
1
रोली लेकर
आया अमलतास
औ कचनार
उबटन का थाल
बसन्त दूल्हा आज।
2
हाथ में कूँची
बसन्त लेके घूमें
नारंगी,पीले
गुलाबी,लाल,हरे
कितने रंग भरे।
3
पीली चूनर
कचनार ले आया,
गुलमोहर
गहरा लाल जोड़ा,
हरियाली दुल्हन।
4
गागर मेरी
दर्द से लबालब
कभी न रीती
अपनों ने दी मुझे
गहरी अनुभूति।
5
घर में आए
बनकर वो दोस्त
लगाएँ सेंध
हम भरोसा करें
वो छुप-छुप छलें।
6
मेरी भी प्रीत
थी मीरा जैसी साँची
विष का प्याला
उसने जो पिलाया
हँसी,होठों लगाया।
7
कोसते रहे
रात दिन मुझको
पतझर- सी
मैं झरूँ रात दिन
पर उफ! न करूँ।
8
जलते रहे
उड़ान देख मेरी
काटा परों को
ऊँची उड़ान कभी
अब भर न सकूँ।
9
पानी ही पानी
लील गया कितने
आँखों के ख़्वाब
बेबस लोगों की
कीमती जिंदगानी।
10
खूब ही रोया
जार -जार सावन
फिर भी धूप
हालत पर उसकी
तरस ही न खाए।
11
किसको कहूँ
है कौन यहाँ मेरा
मन की बात
बिन कहे समझे
मेरा दर्द भी बाँटे।
12
मेरा ये मन
पुकारे तुमको ही
तुम हों कहाँ
अपनी दुनिया में
क्यों रहते हो वहाँ।
13
दिन पखेरू
सुख के बन गए
दु;ख बने हैं
लम्बी,काली गहरी
अमावस की रात।
14
मुश्किल हुआ
समझना तुझको
तेरी प्रीत की
मचलती लहरें
उछलती बिछती।
15-एक लहर
मैं ढूँढू हर दिन
करे मुझपे
प्रेम -भरी बौछार
पर वो डुबा जाए।
-0-
समझना तुझको
तेरी प्रीत की
मचलती लहरें
उछलती बिछती।
15-एक लहर
मैं ढूँढू हर दिन
करे मुझपे
प्रेम -भरी बौछार
पर वो डुबा जाए।
-0-
13 टिप्पणियां:
बेहतरीन मनभावन तांका भावना जी
सभी तांका बहुत सुन्दर लिखे हैं आपने
भावना जी......हृदय तल से बधाई आपको !!
बहुत ख़ूबसूरत सभी तांका। भावना जी हार्दिक बधाई।
बहुत सुंदर तांका भावना जी।
Bahut bahut aabhar meri rachna pasand karne ke liye
विविध रंग भरे बहुत सुन्दर ताँका !
हार्दिक बधाई भावना जी !
एक बढ़कर एक मनभावन सुन्दर ताँका...
हार्दिक अभिनंदन
jihone tippani karne ke liye samaya nakala unka tahe dil se shukriya
बहुत ही सुंदर रचनाकर्म, हार्दिक बधाई भावना जी।
सुन्दर , मनभावन ,बासंती छटा बिखेरती ताँका रचनाएँ । बधाई प्रिय भावना ।
बहुत सुन्दर...मेरी बहुत बधाई...|
बहुत ख़ूबसूरत एवं भावपूर्ण प्रस्तुति!
~सादर
अनिता ललित
बहुत सुंदर ताँका
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