डॉ.पूर्वा शर्मा
1.
रिश्ता निराला
शरारतों में डूबा
बचपन हमारा,
कुछ टॉफियाँ
राखी के बदले में
अब नहीं मिलतीं।
2.
ज़िंदगी चखे
चाशनी से टुकड़े
प्रत्येक मोड़ पर,
मन ना भरे
मनभावन यादें
करती रही बातें।
3.
खाली है झोली
देखे खड़ा बेबस
फ़कीर-सा शिशिर,
पिटारा भर
पुष्प-पल्लव लाया
ये वसंत खजांची।
4.
अडिग रही
हरेक मौसम
में
साहिल-सी ज़िन्दगी,
हिलोरे खाती
ऊँची, तो कभी नीची
लहरें सुख-दुःख।
5.
वर्षों पहले
भाल पर थे सजे
अधर हस्ताक्षर,
भीनी ताज़गी
अब तक अंकित
मन भी पुलकित।
-0-
10 टिप्पणियां:
मीठी यादें लिए बेहतरीन सेदोका, मज़ा आ गया पूर्वा जी!भाल पर थे सजे अधर हस्ताक्षर/ज़िन्दगी चखे चाशनी से टुकड़े.... बहुत बढ़िया।
वाह पूर्वा शानदार । दिन ब दिन तुम्हारी लेखनी की धार और तेज़ तथा मजबूत होती जा रही है । बधाई ।
बहुत बढ़िया सेदोका रचे हैं पूर्वा जी हार्दिक बधाई |
बेहतरीन सेदोका। कुछ टॉफियाँ / राखी के बदले में/अब नहीं मिलतीं। वर्षों पहले/ भाल पर थे सजे /अधर हस्ताक्षर।बचपन की कितनी सुंदर स्मृतियाँ। हार्दिक बधाई पूर्वा जी
बेहतरीन सेदोका। कुछ टॉफियाँ / राखी के बदले में/अब नहीं मिलतीं। वर्षों पहले/ भाल पर थे सजे /अधर हस्ताक्षर।बचपन की कितनी सुंदर स्मृतियाँ। हार्दिक बधाई पूर्वा जी
बहुत सुन्दर सेदोका, बचपन की स्मृतियाँ सजीव हो उठीं ।बधाई आपको ।
मीठी मनमोहक यादें! बहुत सुंदर!
हार्दिक बधाई पूर्वा जी!
~सादर
अनिता ललित
बहुत ही सरस और मनभावन सेदोका लिखे हैं पूर्वा जी आपने ,हार्दिक बधाई आपको !!
मृदु स्मृतियाँ लिए बहुत सुंदर सेदोका...हार्दिक बधाई पूर्वा जी।
मनभावन सेदोका के लिए बहुत बधाई
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