कृष्णा वर्मा
1
स्मरण नहीं
कैसे उलझा मन
तेरी छलनाओं में
भ्रमजाल था
अनजाने बदली
शंकाएँ विश्वास में।
2
ओस-बूँद-
सी
सरल औ निश्छल
तुम्हारी ये मुस्कान
ढही आस को
दे जीने की वजह
फूँके नूतन प्राण।
3
फूल पांखुरी
नाज़ुक लब तेरे
भोर रश्मि मुस्कान
नज़र मेरी
पलकें न झपके
प्रीत तेरे कुर्बान।
4
खनखनाएँ
ज्यों पात हवा-संग
ऐसी हँसी तुम्हारी
प्रीत न मानी
किए लाख जतन
होने लगी तुम्हारी।
5
तुम क्या मिले
चाहतें हुईं शोख़
होंठ मंद मुस्काए
पग झांझर
बेबात झनकती
साँसें महकी जाएँ।
6
बँधने लगे
हम बिन डोरी से
रिश्ता है कोई ख़ास
अक्स तुम्हारे
अक्सर रहते हैं
इन नैनों के द्वार।
7
मन आतुर
तुमसे मिलने को
लगीं फैलने बाहें
तुम्हीं बताओ
प्यासे मन को किस
विधि धीर बँधाएँ।
8
चुग्गे को देख
चली मत जाइयो
चुगने को चिड़िया
तरस नहीं
ये छल है उसका
बिछा वहाँ है जाल्।
9
बरस रहा
अंबर से जो प्यार
लिया पल्लू
पसार
धरा का मन
पोर-पोर तन का
हुआ ख़ुशगवार।
10
बड़ा सुहाना
बारिशों का मौसम
भीगे था बचपन
बड़े क्या हुए
आए जब सावन
बस भीगता मन।
11
बदली रुत
सावन डाकिया ले
आया पुराने ख़त
भूली यादों की
भीगी-भीगी चिठ्ठियाँ
सुलगा रहीं मन।
12
बरसे घन
खारे समंदर के
हो गए वारे न्यारे
प्रीत की मारी
नदिया सुकुमारी
ढो रही जल धारे।
13
वृक्षों पे नूर
पुष्पों पर रवानी
ले आई है बरखा
आए जवानी
धरती का आँचल
रंग डाला है धानी।
14
नदी-नालों में
मचा ऐसा बवाल
मेघ के इरादों ने
किया बेहाल
क़ुदरत के खेल
कौन डाले नकेल।
15
बदल गए
तेवर मौसम के
जुदा-जुदा -सी चाल
हुए उन्मादी
मेघ अचानक क्यूँ
धरे रूप
कराल।
16
बरसीं बूँदें
तन कुन्दन हुआ
डाल-पात आनंद
श्याम घटाएँ
घिर-घिर करतीं
बरखा का प्रबंध।
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10 टिप्पणियां:
बेहद हसीन,एक से बढ़कर एक सेदोका कृष्णा जी, भरपूर आनन्द लिया, धन्यवाद एवं बधाई!!
बहुत सुन्दर सेदोका, बधाई।
बहुत सरस लगे।
बहुत सुन्दर सृजन आद. कृष्णा जी ...हृदय से बधाई !!
बेहद सुन्दर सेदोका ।बहुत-बहुत बधाई ।
बहुत सुंदर सृजन बहुत बधाई कृष्णा जी
एक से बढ़कर एक सेदोका । मन मोह लिया । बधाई ।
वाह कृष्णा जी एक से बढ़कर एक सेदोका रचे हैं हार्दिक बधाई |
मनभावन सेदोका
कृष्णा जी हार्दिक शुभकामनाएँ
सभी सेदोका बहुत सुंदर आदरणीया कृष्णा दीदी! बहुत बधाई आपको!
~सादर
अनिता ललित
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