ऋता शेखर 'मधु'
1.
कोयल काली
तुम कितनी प्यारी
रूप से नहीं
गुण से जग जीती
स्वर दे मनोहारी।
2.
ओस की बूँद
सिमटी है पँखुड़ी
ज्यूँ मीठा स्वर
बस जाता बाँसुरी
औ' सीपी में मंजरी।
3.
शरद ऋतु
रोम-रोम सिहरा
जिस धूप को
ग्रीष्म में बिसराया
अभी गले लगाया।
4.
लाल गुलाब
कहे काँटों के साथ
जीवन कथा
चुभन को झेल लो
खिलना तो न छोड़ो।
5.
झूमती कली
हँसी, कहने लगी
मैं खिल उठी
भँवरों का गुंजन
सुन भई बावली।
6.
काला बादल
ढँके सूर्य किरण
छुप न पाती
ढकेल आवरण
वो चमक ही जाती।
7.
बरखा लाए
रिमझिम फुहार
सुर सजाए
तेज धार बौछार
गाए राग मल्हार।
8.
पावस ऋतु
हौले-हौले हवाएँ
सजे राग हैं
विरहा औ' कजरा
भीगे कानन फूल।
9.
ग्रीष्म तपती
नभ में उड़ जाती
बन बदरा
झूमती फुहराती
ठंडक पहुँचाती।
10.
मेघ का थाल
बूँद-बूँद नीर के
ग्रीष्म सजाती
टकटक चातक
गिरा, प्यास बुझाती।
11.
सघन मेघ
नील आकाश ढके
सूर्य हैं छुपे
भोर निशा-सी लगे
कलरव सोया सा। ?
13.
गंगा की धारा
पावन औ' पवित्र
बहती जाती
कहीं उद्दात है वो
कहीं मंथर गति।
14.
रिश्तों की पौध
प्यार की खाद मिली
लहलहाई
घोर तूफ़ान में भी
वो हिल नहीं पाई।
1.
कोयल काली
तुम कितनी प्यारी
रूप से नहीं
गुण से जग जीती
स्वर दे मनोहारी।
2.
ओस की बूँद
सिमटी है पँखुड़ी
ज्यूँ मीठा स्वर
बस जाता बाँसुरी
औ' सीपी में मंजरी।
3.
शरद ऋतु
रोम-रोम सिहरा
जिस धूप को
ग्रीष्म में बिसराया
अभी गले लगाया।
4.
लाल गुलाब
कहे काँटों के साथ
जीवन कथा
चुभन को झेल लो
खिलना तो न छोड़ो।
5.
झूमती कली
हँसी, कहने लगी
मैं खिल उठी
भँवरों का गुंजन
सुन भई बावली।
6.
काला बादल
ढँके सूर्य किरण
छुप न पाती
ढकेल आवरण
वो चमक ही जाती।
7.
बरखा लाए
रिमझिम फुहार
सुर सजाए
तेज धार बौछार
गाए राग मल्हार।
8.
पावस ऋतु
हौले-हौले हवाएँ
सजे राग हैं
विरहा औ' कजरा
भीगे कानन फूल।
9.
ग्रीष्म तपती
नभ में उड़ जाती
बन बदरा
झूमती फुहराती
ठंडक पहुँचाती।
10.
मेघ का थाल
बूँद-बूँद नीर के
ग्रीष्म सजाती
टकटक चातक
गिरा, प्यास बुझाती।
11.
सघन मेघ
नील आकाश ढके
सूर्य हैं छुपे
भोर निशा-सी लगे
कलरव सोया सा। ?
13.
गंगा की धारा
पावन औ' पवित्र
बहती जाती
कहीं उद्दात है वो
कहीं मंथर गति।
14.
रिश्तों की पौध
प्यार की खाद मिली
लहलहाई
घोर तूफ़ान में भी
वो हिल नहीं पाई।
9 टिप्पणियां:
बहुत सुंदर सृजन मधु जी- ओस की बूंद, लाल गुलाब, झूमती कली, काला बादल....आपको हार्दिक बधाई!!
मधु जी बहुत सुन्दर सृजन ओस की बूँद..., झूमती कलि बहुत प्यारे हैं हार्दिक बधाई |
समस्त ताँका बहुत सुंदर,प्रतीकात्मक रूप में जीवन के विविध रूपों,स्थितियों एवम रिश्तों की व्याख्या इनमे विद्यमान हैं। बहुत बहुत बधाई ऋता जी
ऋता शेखर मधु जी के मौसमी तांका बेहद खूबसूरत बन पड़े हैं । बधाई ।
प्राकृतिक छटा बिखेरते, जीवन संग जोड़ते बहुत सुंदर ताँका ऋचा जी। हार्दिक बधाई ।
मधु जी बहुत सुन्दर सृजन,एक से बढ़कर एक तांका .....हार्दिक बधाई आपको !
बहुत सुंदर सृजन... बधाई ऋता शेखर जी।
मनोहारी और बेहतरीन तांका के लिए हार्दिक बधाई...|
Best
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