मंगलवार, 14 दिसंबर 2021

1014- प्राणप्रिया के लिए

 प्राणप्रिया के लिए

रश्मि विभा त्रिपाठी

1


वे प्राणप्रिया

व्यथा का कोई ज्वर

व्यापे न उम्र भर

वरदहस्त

उनके शीश पर

धर दो महेश्वर।

2

जाह्नवी की- सी

ज्यों अविरल धार

झरे मोद अपार

प्राणप्रिया का

महेश दो सँवार

तुम मन- संसार।

3

आनन्दमना

उन्हें देख हर्षाऊँ

मैं बलिहारी जाऊँ

तुम्हारे द्वारे

शिव! झोली फैलाऊँ

तो ये आशीष पाऊँ।

4

हे गंगाधर!

तुम भक्तवत्सल

माँगूँ वर एकल

सदा प्रिया का

मन हो परिमल

खिलें सुख-उत्पल।

5

वे मेरी शक्ति

प्राण-मन आधार

मेरा जीवन-सार

प्रिया के हिय

शिव! करो अपार

सर्वसुख-संचार।

-0-

10 टिप्‍पणियां:

Anima Das ने कहा…

सुंदर भावपूर्ण सृजन... 🌹

Shri Umesh Sharma ji ने कहा…

We have 3 gods in Hindu mythology Brahma Vishnu and Mahesh
The shiva i would like to thank rashmi vibha tripathi ji .this is the skill in you i felt God is near after reading your sedukas .It seems that in your pen God Shiva is there .May u liv long with great happiness and may your pen should not stop ever in this life .Om namah shivaya

Unknown ने कहा…

I would like to thank the great writer of this era miss rashmi vibha who proved herself in a very younger age .the supreme god is only one the Shiva and you wrote great words.i always bless you my little sister

सहज साहित्य ने कहा…

सारे ही सेदोका एक से बढ़कर एक। रश्मि विभा का यह सृजन भाव और भाषा दोनों ही दृष्टियों से उत्तम है। बहुत कम समय में आपने इस विधा को हृदयंगम कर लिया है। आपको अनेकशः आशीर्वाद। रामेश्वर काम्बोज

नीलाम्बरा.com ने कहा…

यह लेखनी जीवनदायिनी है। प्राणप्रिया में प्राण भर दिए। मेरी प्रिय भगिनी रश्मि तुम्हें मेरा असीम स्नेह। ईश्वर तुम्हें, दीर्घायु, प्रसन्न और स्वस्थ रखते हुए सफलता के चरम शिखर पर प्रतिष्ठित करें। अशेष आत्मिक शुभकामनाएँ।

Krishna ने कहा…

बहुत सुंदर सरस अनुपम सृजन...हार्दिक बधाई विभा रश्मि जी।

बेनामी ने कहा…

सेदोका प्रकाशन हेतु आदरणीय सम्पादक द्वय का हार्दिक आभार।
मुझमें नव ऊर्जा का संचार करती आदरणीया कृष्णा दीदी, अनिमा जी, आदरणीय उमेश जी एवं गुरुवर रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' जी की टिप्पणी की हृदय तल से आभारी हूँ।

सादर 🙏🏻

बेनामी ने कहा…

आदरणीया दीदी,
आपकी निश्चल नेह- निधि पा मैं कृतज्ञ हूँ।
आभार शब्दों में सम्भाव्य नहीं।
मन- प्राण से आपको सादर वंदन। 🙏🏻

बेनामी ने कहा…

आदरणीय गुरुवर,
नवांकुरों को अनेकानेक विधाओं में पारंगत करने हेतु सतत प्रयत्नशील हो साहित्य की सेवा करने का आपका यह पुनीत कार्य श्लाघ्य है, स्तुत्य है।

मेरा सेदोका लेखन आपकी उसी साहित्य- सेवा का अवदान है।

आपको सादर वंदन।

सविता अग्रवाल 'सवि' ने कहा…

रश्मि जी के ह्रदय तल को छूते हुए सेदोका हैं हार्दिक बधाई |