1-माहिया / अनिमा दास
1.
आकंठ तुम्हें गाऊँ
जब तक प्राण रहें
मैं तुमको ही चाहूँ।
2.
सुबह चली आती है
तुमसे मिलने की
क्यों प्यास जगाती है।
3.
संसार सुहाना है।
जो तुम साथ रहो
फिर क्या घबराना है।
4.
कैसी रजनी भाई
मन था सहमा- सा
याद मुझे थी आई।
5.
सूरज तुम , मैं वाणी
विस्तार करा दो
शिव तुम ,मैं शर्वाणी।
-0-
2-ताँका/ प्रीति अग्रवाल
1.
खोजते फिरे
हृदय छुपा
इक वहीं न झाँका
हर घर में ताका।
2.
नित नियम
जप, भोग, शृंगार
मानव चाल
दुगुने की चाहत
प्रभु पूजें, रिझाएँ!
3.
मेरा वियोग
वह सह न पाए
चाँद झट से
घटा में छुप जाए
उदासी नहीं भाए।
4.
मन मंथन
निशदिन करती
हाथ में आए
छाछ, केवल छाछ
माखन क्यों न आए?
5.
मन के द्वारे
राग द्वेष पसरे
प्रेम जो चाहे
कैसे प्रवेश पाए
विवश लौट जाए।
6.
माटी- सुगन्ध
तन मन घुलती
याद दिलाती
प्रियजन अपने
जाने किस हाल में!
7.
विरह- क्षण
घिर-घिर के आएँ
बड़ा सताएँ
भूलने की सुयुक्ति
कोई क्यों न सुझाए?
8.
कोरा कागज़
भर दिया मन का
नाम से तेरे
क्या तुम कुछ ऐसा
प्रियतम करते?
9.
न चिट्ठी- पत्री
न डाक, न डाकिया
दिन ये कैसे
इंतज़ार का लुत्फ़
न मिलन- बेचैनी।
10.
हिम के ढेर
नज़र जहाँ तक
सर्द हवाएँ
सुधियों की रजाई
सर्दी सता न पाई।
11.
खुद को कभी
अकेला न समझो
भीड़ का हिस्सा
होकर भी अकेले
होते बहुत लोग।
-0-
13 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर माहिया और ताँका,दोनों रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएँ ।
सुंदर माहिया।अति सुन्दर ताँका ।दोनों रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
सादर आभार आदरणीय 🙏🌹
जी सादर आभार आदरणीया 🌹🙏
भावपूर्ण माहिया एवं बहुत सुंदर ताँका के लिए अनिमा जी,प्रीति अग्रवाल जी को हार्दिक बधाई।
माहिया और ताँका दोनों बहुत सुंदर...अनिमा जी,प्रीति जी हार्दिक बधाई।
जी हार्दिक आभार 🙏🌹😊
जी हार्दिक धन्यवाद 🙏🌹😊
पत्रिका में स्थान देने के लिए सम्पादक द्वेय का हार्दिक आभार!
आदरणीय भीकम सिंह जी, सुदर्शन दी, सुरँगमा जी और कृष्णा जी, आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया मेरी लेखनी को बल प्रदान करती है, आपका सभी का बहुत बहुत धन्यवाद।
अनिमा जी आपके माहिया बहुत सुंदर, आपको मेरी ओर से बधाई!
अनिमा जी और प्रीती जी को सुन्दर सृजन पर बधाई और शुभकामनाएं |
आदरणीया अनिमा जी और प्रीति जी के बहुत ही प्यारे माहिया व ताँका।
आप दोनों को हार्दिक बधाई।
सादर
अच्छी रचनाएँ , आप दोनों को बधाई।
अनिमा जी के माहिया और प्रीती जी के तांका बहुत बेहतरीन हैं | दोनों को बहुत बधाई |
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