सेदोका- रश्मि विभा त्रिपाठी
1
पीयूषवर्णी
देखूँ वे दो नयन
देते तृप्ति का धन
प्राणप्रिया का
मन्दाकिनी- सा मन
मुक्त अवगाहन।
2
मंत्रमुग्ध हो
मन रहा थिरक
राग मनमोहक
प्राणप्रिया के
शब्द भरें अथक
शिराओं में खनक।
3
खिल उठे हैं
सुन उनकी बात
श्वास-मानस-गात
प्राणप्रिया का
स्वर ज्यों पारिजात
'सौरभ का प्रपात'।
4
प्रिय ने धागा
न्यारा नेह का बाँधा
न दूरी बनी बाधा
एक ही मन
बरतें आधा- आधा
मानो श्री कृष्ण- राधा।
5
प्रिय रहते
दूर होके भी साथ
सुनें मन की बात
प्रवहमान
प्रणव का प्रपात
परे पीड़ा- उत्पात।
6
मेरी दशा का
अलि वे अनायास
कर लेते आभास
आ हिमांशु- से
अंक भरें उजास
ओझल तम- त्रास।
7
अलि उनका
प्रार्थना का प्रक्रम
अक्षुण्ण, नहीं कम
विधि- परीक्षा
मेरी श्रेणी- प्रथम
'प्रिय का परिश्रम'!
8
प्रिय आलम्ब
आशाएँ जीर्ण-शीर्ण
होने न दें विदीर्ण
हारूँ तो करें
जय- सूत्र उत्कीर्ण
रटूँ, होऊँ उत्तीर्ण।
9
प्रिय तुमसे
मुझे हुआ संप्राप्य
सर्वसुख- साम्राज्य
सगर्व झूमूँ
मिटी पीड़ा असाध्य
सराहूँ निज भाग्य।
10
बैठी हुई थी
मैं अवसाद लिये
पीर अगाध लिये
प्रिय आ गए
आस- प्रसाद लिये
औ प्राण साध लिये।
11
प्रिय की दुआ
दे ऋतु को बदल
दुख जाए पिघल
प्राण- पुष्कर
साँसों में परिमल
सुख- नीलकमल।
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12 टिप्पणियां:
अच्छी सेदोका रचनाएँ.
वाह्ह्ह...
हूँ निःशब्द मैं ...
करूँ पद वंदन...
तुम चंदन
रश्मि जी... आपको जब भी पढ़ती हूँ... एक अद्भुत स्तर पर चली जाती हूँ..... आपको सादर नमन...🙏🌹🌹अशेष शुभकामनाएँ 🌹💐🙏
बहुत सुंदर सेदोका। हार्दिक बधाई रश्मि जी।
हार्दिक आभार आदरणीय 🙏🏻
मुझे प्रोत्साहन देती आपकी सुन्दर टिप्पणी पढ़ कृतज्ञ हूँ आदरणीया।
सादर प्रणाम आपको 🙏🏻
हार्दिक आभार आदरणीया।
सादर 🙏🏻
बढ़िया सेदोका हैं रश्मि जी ... विशेषकर ... प्रिय ने धागा /न्यारा.... अत्यंत खूबसूरत लगा हार्दिक बधाई |
हार्दिक आभार आदरणीया।
सादर 🙏🏻
बहुत सुंदर उत्कृष्ट सेदोका...हार्दिक बधाई रश्मि जी।
हार्दिक आभार आदरणीया।
सादर 🙏🏻
बहुत प्यारे सेदोका, प्रिय रश्मि को बहुत बधाई
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