शुक्रवार, 31 मार्च 2023

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 चोका

1- रश्मि विभा त्रिपाठी

1

बँटवारे में

दे देते थोड़ा- सा ही

अगर ठौर

आँगन के कोने में

या ओसारे में

रहती खुशी- खुशी

बच्चों के संग

अपने बसेरे में

वो फरमाती

आराम की ज़िन्दगी

छक के पाती

छोटे- से नीड़ में ही

राजसी सुख

दुनियाभर का वो

जो कभी तुम्हें

सबकुछ पाके भी

न मिल सका

उठकरके वह

भोर होते ही

उजास की नदिया

नहाके आती

तुमको भी नींद से

आके जगाती

चुन-चुनके लाती

पूजा के फूल

और फिर सजाती

आरती थाल

श्रद्धा भाव से गाती

प्रभु के गुण

तुम्हारे लिए भी वो

प्रार्थनाओं में

रोज सुख माँगती

उस प्रभु से

फुदककर आती

चुगने दाना

चावल के तिनके

चोंच में लेके

चूजों को पुकार के

पुचकार के

कौर- कौर खिलाती

गौरैया प्यारी

अपनी ममता का

हर दिन ही

नियम- धरम से

पर्व मनाती

नहीं छूटता कोई

वृत- त्योहार

विधिवत् करती

चौक पूरके

चीं- चीं कर उठाती

मंगल- गीत

सारे शगुन करती

तुम चैन से

कंक्रीट की कोठी में

रहो अकेले

वो सहे सौ झमेले

माता का मर्म

समझ लेते थोड़ा

पढ़े होते जो

कभी पद सूर के

न जाने कहाँ

वो भटकती होगी

तुम्हारी ओर

उसके सगे- साथी

देखते हैं घूरके।

-0-

2-प्रीति अग्रवाल

1-काश

 

इस 'काश' का
है कैसा मोह पाश
अतृप्त प्यास
कितनी ही तृष्णाएँ
'गर ये होता
असंख्य भावनाएँ
'गर वो होता
घेरें सम्भावनाएँ
चले जा रहे
उनमें उलझते
आहें भरते
गिरते सम्भलते
'आज' पर है
न ध्यान, न विचार
वो बीत रहा
निराधार अंजान
आए वो दिन
काश! इस 'काश' से
मुक्त हम हो पाएँ!
-0-
2-प्रेम दूत

कौन है देता
दिल पर दस्तक
यूँ निरन्तर
क्या नहीं है देखता
लटकी तख्ती
बाहर जो कहती-
'अंदर आना
यहाँ पर वर्जित'
मैं प्रेम दूत
मैं पढ़ता केवल
दिल की बात
तख्तियों से मुझको
भला क्या काम
तेरा दिल है खाली
अब उसकी बारी!
-0-
3 - हिसाब

दो रुपयों को
प्रतिदिन खींचती
चार का काम
हर बार हूँ लेती
घर भर की
सब ज़िम्मेदारियाँ
उँगलियों पे
गिन-गुन हूँ लेती
सोचा करती
अकसर मुझको
क्यों बतलाते
वो हिसाब में कच्ची!
रखती याद
सितम न उनके
खुद गिनती
और न गिनवाती
सच कहते
अब मैं भी कहती
मैं हिसाब में कच्ची!!
-0-

11 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

बढ़िया चोका की रचना की है रश्मि जी और प्रीति ने । पढ़कर मन प्रसन्न हो गया । बधाई स्वीकारें। सविता अग्रवाल “ सवि”

प्रीति अग्रवाल ने कहा…

पत्रिका में स्थान पाकर बेहद खुशी होती है, सम्पादक द्वेय का हार्दिक आभार!

रश्मि जो की रचना सुंदर!

सविता जी ने समय निकाल कर पढ़ा, हृदयतल से धन्यवाद!

भीकम सिंह ने कहा…

बहुत ही सुन्दर चोका हैं ,दोनों रचनाकारों हार्दिक शुभकामनाएँ ।

dr.surangma yadav ने कहा…

बहुत सुंदर चोका । रचनाकार द्वय को कोटिशः बधाई।

बेनामी ने कहा…

बहुत सुंदर सृजन।

प्रीति अग्रवाल ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद!

प्रीति अग्रवाल ने कहा…

जी धन्यवाद!

प्रीति अग्रवाल ने कहा…

आपकी स्नेहिल टिप्पणी के लिए धन्यवाद सुरँगमा जी।

डॉ. पूर्वा शर्मा ने कहा…

रश्मि जी सुंदर चोका के लिए बधाई
नहीं छूटता कोई / वृत- त्योहार / विधिवत् करती / चौक पूरके / चीं- चीं कर उठाती / मंगल- गीत / सारे शगुन करती
बहुत ही बढ़िया


प्रीति जी बिल्कुल सही कहा - 'आज' पर है / न ध्यान, न विचार..
मैं प्रेम दूत / मैं पढ़ता केवल / दिल की बात..
सच कहते / अब मैं भी कहती /मैं हिसाब में कच्ची!!
बहुत ही सुंदर सृजन .. हार्दिक बधाई

प्रीति अग्रवाल ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद पूर्वा जी, आपने अपना अनमोल समय निकाल कर , रचनाएँ पढ़ी, सराही और इतनी सुन्दर विस्तृत टिप्पणी भी दी!

Krishna ने कहा…

बहुत ही सुन्दर चोका...रश्मि जी, प्रीति जी हार्दिक बधाई!