रविवार, 16 जून 2024

1181

माहिया

रश्मि विभा त्रिपाठी

 1


आसार तलातुम के!

मुरझा ना जाएँ

ये फूल तबस्सुम के।

2

कैसी दुश्वार घड़ी

घर के आँगन में

ऊँची दीवार खड़ी!

3

मन को यूँ बहलाया

गम की धूप तले

खुशियों का है साया!

4

पलकों पे शबनम है

मन भीगा- भीगा

यादों का मौसम है!

5

रुत बदलेगी तेवर

खो न कहीं देना

मुस्कानों का जेवर!

6

जादू है जाने क्या

पल- पल बदल रहा

अब रंग जमाने का!

7

अब चन्दन- सी काया

सौरभ खो बैठी

सबको विष ही भाया।

8

बंधन है वो मन का

जैसा बंधन था

मीरा- मनमोहन का!

9

सपने सब टूट गए 

पथ के साथी सब

पथ में ही छूट गए!

10

चाहत है शय प्यारी

शामिल मत करना

इसमें दुनियादारी!

11

मन के हर कोने से

यादों के मोती

चमके हैं सोने- से!

12

सुख ढलती छाया है

मत घबराना तू

ईश्वर की माया है!

13

जब संग दुआएँ हों

अँधियारे में भी

पुन- नूर शुआएँ हों!

14

मत करना जिरह कभी

लगके फिर न खुले

रिश्तों की गिरह कभी।

15

अपनापन किसको है

रिश्तों- नातों की

बेकार तवक़्क़ो है!

16

सब खेल नसीबों के

कल जो मेरा था

अब संग रक़ीबों के!

17

दुनिया में कौन सगा

जिसको देखो वो

देता अब सिर्फ़ दग़ा।

18

माना तेवर तीखे

मगर समय से हम

कितना कुछ हैं सीखे!

19

हम लोग शराफत के

दिन यूँ बसर करें

मारे हैं आफत के!

20

लाचार ख़ुलूस यहाँ 

इसका तो निकला

हर बार जुलूस यहाँ!

21

गमले में बासी है

फूल मुहब्बत का

माहौल सियासी है!

22

रहना तुम बच- बचके

आज जमाने में

सब दुश्मन हैं सच के!

23

गालों पर जो दिखते

आँसू वो बच्चे

घर में न कभी टिकते!

24

आँखों में पलते हैं

सपने हिम्मत के

सब खतरे टलते हैं।

25

कैसी है यह बस्ती

आज बचा पाना

मुश्किल अपनी हस्ती!

26

विधिना का लेखा है

कब क्या हो जाए 

यह किसने देखा है!

27

रिश्तों का है मेला

है व्यवहार मगर

सबका ही सौतेला!

28

दिल तो सब ले लेंगे

समझ खिलौना पर

सब इससे खेलेंगे!

29

राहों पर बढ़ते हैं

जो भी चाहत की

सूली पर चढ़ते हैं!

30

सन्नाटे गहरे हैं

किससे हाल कहें

सब अंधे- बहरे हैं!

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12 टिप्‍पणियां:

भीकम सिंह ने कहा…

बहुत सुंदर, वाह, हार्दिक शुभकामनाऍं ।

शिवजी श्रीवास्तव ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
शिवजी श्रीवास्तव ने कहा…

विविध भाव भूमि के समस्त माहिया बहुत प्रभावी।सच है..
सुख ढलती छाया है
मत घबराना तू
ईश्वर की माया है!

बेनामी ने कहा…

सभी माहिया उम्दा, प्रभावशाली हैं हार्दिक बधाई रश्मि जी।सुदर्शन रत्नाकर

प्रीति अग्रवाल ने कहा…

एक से बढ़कर एक माहिया!
पलकों पे शबनम है....बहुत बढ़िया!!

Anita ने कहा…

आँखों में पलते हैं

सपने हिम्मत के

सब खतरे टलते हैं।

सकारात्मक भाव जगाते सुंदर माहिया!!

Rashmi Vibha Tripathi ने कहा…

मेरे माहिया को त्रिवेणी में स्थान देने हेतु आदरणीय सम्पादक द्वय का हार्दिक आभार।
आदरणीया रत्नाकर दीदी, प्रीति जी, अनिता जी, डॉ. शिवजी श्रीवास्तव जी और डॉ. भीकम सिंह जी की टिप्पणी की आभारी हूँ।

सादर

शुभा ने कहा…

वाह! बहुत खूबसूरत सृजन!

Rupa Singh ने कहा…

बहुत खूब...एक से बढ़कर एक माहिया।

आलोक सिन्हा ने कहा…

बहुत बहुत सुन्दर

Bharti Das ने कहा…

बहुत सुंदर

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

सभी माहिया बहुत सुन्दर। बढ़ाए रश्मि जी।