शनिवार, 27 जुलाई 2024

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हाइबन

सत्या शर्मा कीर्ति

1-नहाई भोर

 


लगभग आधी रात से बारिश हो रही थी, लेकिन जब मैं मॉर्निंग वॉक को निकली तब तक आसमान साफ हो चुका था और बहुत ही शीतल हवा मेरे संग- संग ही प्रभात फेरा लगा रही थी। पूरी प्रकृति  स्वच्छ और पवित्र लग रही थी। सामने ही पहाड़ों के पीछे से दुधमुँहा भोर अँगड़ाई ले  झाँक- झाँककर मुझे देख रहा था।

मुझे उसकी यह शरारत बड़ी अच्छी लगीं और मैं उसे जल्दी से आने का न्योता दे अपने घर की ओर लौट चली , ताकि उसके आने के पहले अपने दरवाजे पर अल्पना बना सकूँ।

1

प्रकृति करे

मन भर शृंगार

वर्षा के दिन।

2

नन्हा सूरज

पहन पीला कोट

ओट से झाँके।

-0-

2-खुशबू



 मैं पिछले कई दिनों से  देख रही थी कुछ कलियाँ जो धीरे-धीरे  फूल बनाने की प्रक्रिया से गुजर रहीं थीं , वे सभी आज अलसुबह अपनी यात्रा पूरी कर क्यारियों में  खिलकर महक रहीं थीं।

पर अभी भी कुछ कलियाँ ऐसी थीं , जो खुद में ही सिमटी हुई  थीं, जैसे कोई जल्दी नहीं या खुद में आत्मविश्वास ही नहीं कि खिल भी पाऊँगी। मुझे उन्हें देख उन अनाथ बच्चों का ख्याल आया गया , जो ऐसे ही मुरझा जाते हैं , बिना खिले, बिना महके , बिना जि

      मैंने धीरे से उन फूलों को छुआ और उससे आत्मविश्वास ले आसमान में उछाल दिया, ताकि इसकी खुशबू उन बच्चों के हृदय को भी छू सके और वो इन फूलों जैसे ही खिलकर महकने लगें।

1
आओ रोप दें

आत्मविश्वास का बीज 

बाल मन में ।

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3-कभी देर नहीं होती

 

आज आँख कुछ देर से खुली थी । मन कुछ उदास होने लगा, क्योंकि सुबह की ठंडी सुंगधित हवा लौट गई थी। सूरज की नन्ही किरणें यौवन की ओढ़नी ओढ़ इतरा रही थीं। माली भी शायद पौधों को नहला-धुलाकर जा चुका था।  उदास मन मैं अपनी बालकनी में जाकर बैठ गई। नन्ही चिड़िया जो रेलिंग पर चुपचाप बैठी थी, मुझे देख दाना चुगने लगी यह वही चिड़िया थी, जो अलसुबह भोर का राग गाकर मुझे जगाती थी ।

उसने मेरी ओर मुस्कुराकर यूँ देखा और जैसे  कह रही हो- ‘‘जीवन में कभी भी देर नहीं होती । बस एक नई शुरुआत  की चाह होनी चाहिए , नहीं तो न जाने कितने शुभ मुहूर्त, कितनी शुभ घड़ी रोज आती -जाती रहती है ,पर सब कुछ वैसा ही रहता है, कुछ नहीं बदलता है ।

किंतु हमारा एक मजबूत इरादा, हमारी आन्तरिक चाह किसी भी क्षण को एक विशेष मुहूर्त में बदल सकती है। तुम उदास होने की जगह ईश्वर को धन्यवाद दो कि उन्होंने तुम्हें एक दिन और दिया जिससे तुम एक नई शुरुआत कर सकती हो।’’ उसकी आँखों की भाषा मेरी आँखों को छू ग। मेरे अंदर की उदासी उस नन्ही चिड़िया ने जैसे पी ली और मैंने भी उसके चहकते ही उसके लिए कुछ और दाने बिखेर दी।

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दृढ़ संकल्प

बने शुभ मुहूर्त

हरेक पल।

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18 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

बहुत सुंदर मनमोहक हाइबन। हार्दिक बधाई । सुदर्शन रत्नाकर

शिवजी श्रीवास्तव ने कहा…

सभी हाइबन प्रकृति के मोहक दृश्यों की भांति मुग्धकर,और प्रेरक।हार्दिक बधाई।

Krishna ने कहा…

बहुत सुंदर हाइबन... हार्दिक बधाई।

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

बहुत प्यारे हाइबन, हार्दिक बधाई

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

सभी हाइबन बहुत सुन्दर और मनमोहक। बधाई।

dr.surangma yadav ने कहा…

सभी हाइबन बहुत सुंदर।

Rashmi Vibha Tripathi ने कहा…

प्रेरक हाइबन।
हार्दिक बधाई आदरणीया।

सादर

surbhidagar001@gmail.com ने कहा…

सभी हाइबन बहुत सुंदर हैं ।
बधाई आपको।

डॉ. पूर्वा शर्मा ने कहा…

सभी हाइबन सुंदर
बहुत बधाई सत्या जी

Satya sharma ने कहा…

बहुत- बहुत धन्यवाद दी 🙏

Satya sharma ने कहा…

सादर आभार

Satya sharma ने कहा…

बहुत - बहुत धन्यवाद

Satya sharma ने कहा…

बहुत- बहुत आभार

Satya sharma ने कहा…

सादर धन्यवाद

Satya sharma ने कहा…

हार्दिक आभार

Satya sharma ने कहा…

बहुत- बहुत आभार

Satya sharma ने कहा…

बहुत- बहुत धन्यवाद

Satya sharma ने कहा…

बहुत शुक्रिया पूर्वा जी