1-भीकम सिंह
1
प्रेम हुआ है
जीवन की संध्या में
खिली ज्यों भोर
मन लौटना चाहे
फिर उसी की ओर ।
2
नमी लेकर
धूप आगे बढ़ी है
फिर ओस से,
दूब की फुनगियाँ
खड़ी अफसोस से ।
3
नभ के तारे
टिमटिमा रहे हैं
मेरे मन में ,
शुरु कर दिया है
टूटना भी तन ने ।
4
सॅंभाले यदि
जनम के सिरजे
प्रेम के पल ,
तो जिन्दगी की नदी
बहती कल-कल।
5
आती हैं यादें
बहुत - सी पुरानी
वे लड़किहाँ,
तितलियों के जैसी
और वे छेड़खानी ।
-0-
2-चोका- देर न करो /प्रीति अग्रवाल
चलो चलते
इक जहाँ बसाते
ऐसा जिसमें
कोई ऊँचा, न नीचा
राग, न द्वेष
न कलह, न क्लेश
घृणा, न ईर्ष्या
भय, न अहंकार
जहाँ बसते
मधुरिम संवाद
प्रेम में पगे
आचार, व्यवहार
सद्भावना के
उच्चतम संस्कार
मान-सम्मान
सब का अधिकार
देर न करो
मुमकिन ये जहाँ
आ जाओ, मेरे साथ!
-0-
15 टिप्पणियां:
बहुत सुंदर चोका, प्रीति अग्रवाल जी को हार्दिक शुभकामनाऍं।
आदरणीय भीकम सिंह जी आपकी रचनाओं की शिल्प और शैली दोनों अदभुत होती है, हार्दिक बधाई!
पत्रिका में स्थान देने के लिए संपादक द्वेय का हार्दिक धन्यवाद ।
बहुत सुंदर सृजन किया है सर।प्रीति जी की रचना भी बहुत सुंदर। रचनाकार द्वय को हार्दिक बधाई।
भीकम सिंह जी और प्रीति अग्रवाल दोनों को पढना सुखद होता है, दोनों की रचनाएँ आनंद देती हैं. दोनों को बहुत बहुत बधाइयाँ 💐💐
बहुत सुंदर ताँका और चोका।
हार्दिक बधाई आदरणीय भीकम सिंह जी और आदरणीया प्रीति जी को 💐
सादर
सुंदर ताँका और चोका के लिए बधाई।
शुभकामनाएँ।
बहुत सुंदर ताँका और चोका... आप दोनों रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
मनोबल बढ़ाती आप सभी की सुन्दर टिप्पणियों के लिए हार्दिक आभार !
सुन्दर
ताँका और चोका से पहली बार परिचय हुआ, अभिनव विधा है यह काव्य की, भाव विचार का अनोखा मेल चंद शब्दों में
मेरे ताॅंका पसन्द करने के लिए आप सभी का हार्दिक आभार।
प्रकाशित करने के लिए सम्पादक द्वय का हार्दिक आभार।
आ. भीकम सर के ताँका व प्रीति जी का चोका ... सभी बहुत बढ़िया एवं भावपूर्ण!
~सादर
अनिता ललित
अरे वाह ! अच्छा तो लगा पर कृपया तांका और चोका के बारे में जानकारी दें।
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