डॉ. सुरंगमा यादव
1
बातों से बात बने
बात नहीं होगी
कैसे फिर बात बने?
2
शिकवा
क्या करना है
नौका
पास नहीं
तिनका ले तरना है।
3
बेटी ने जन्म लिया
घोर उदासी ने
स्वागत था खूब किया।
4
सूरज भी निकलेगा
अँधियारा कब तक
यूँ उसको निगलेगा।
5
दुनिया अनजानी है
झरना पर्वत की
आँखों का पानी
है।
6
जीवन की लीला है
मंजिल दूर बड़ी
रस्ता पथरीला
है।
6 टिप्पणियां:
दुनिया अनजानी है
झरना पर्वत की
आँखों का पानी है।
बहुत ही सुंदर कल्पना।
बेटी का जन्म अभी भी समाज में उदासी का सबब है। सही कहा।
बधाई सुरँगमा जी
वाह, वाह... बहुत सुन्दर माहिया रचे हैं, हार्दिक शुभकामनाएँ।
- भीकम सिंह
झरना पर्वत 'का' कर लें अच्छे माहिया हैं...
बहुत सुंदर -पुष्पा मेहरा
बहुत सुंदर माहिया।
हार्दिक बधाई दीदी
बहुत सुंदर माहिया। हार्दिक बधाई।सुदर्शन रत्नाकर
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