मंगलवार, 26 अगस्त 2025

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डॉसुरंगमा यादव


1

 बातों से बात बने

 बात नहीं होगी

 कैसे फिर बात बने?

2

शिकवा क्या करना है

नौका पास नहीं

 तिनका ले तरना है।

3

 बेटी ने जन्म लिया

 घोर उदासी ने

 स्वागत था खूब किया।

4

 सूरज भी निकलेगा

 अँधियारा कब तक

 यूँ उसको निगलेगा।

5

 दुनिया अनजानी है

 झरना पर्वत की

 आँखों का पानी है।

6

 जीवन की लीला है

 मंजिल दूर बड़ी

 रस्ता पथरीला है।

6 टिप्‍पणियां:

अनिता मंडा ने कहा…

दुनिया अनजानी है
झरना पर्वत की
आँखों का पानी है।

बहुत ही सुंदर कल्पना।
बेटी का जन्म अभी भी समाज में उदासी का सबब है। सही कहा।
बधाई सुरँगमा जी

बेनामी ने कहा…

वाह, वाह... बहुत सुन्दर माहिया रचे हैं, हार्दिक शुभकामनाएँ।
- भीकम सिंह

बेनामी ने कहा…

झरना पर्वत 'का' कर लें अच्छे माहिया हैं...

बेनामी ने कहा…

बहुत सुंदर -पुष्पा मेहरा

रश्मि विभा त्रिपाठी ने कहा…

बहुत सुंदर माहिया।
हार्दिक बधाई दीदी

बेनामी ने कहा…

बहुत सुंदर माहिया। हार्दिक बधाई।सुदर्शन रत्नाकर