बुधवार, 28 सितंबर 2011

लाचार किसान


(1)
अरे किसान
तेरे खेत हँसते
मुसकाई हैं
ये धान की बालियाँ
फ़िर तू क्यों रोया है ?
(2)
कड़क धूप
जलाती तन-मन
हाड़ कँपाती
ये बैरन सर्दी भी
छत टपक रोती।
(3)
कटी फ़सल
अन्न लदा ट्रकों पे
लगी बोलियाँ
किसान के हिस्से में
भूसे का ढेर बचा
(4)
प्यारा था खेत
सींचा था पसीने ने
बहा ले गया
पगलाया बादल
बस एक पल में।

-कमला निखुर्पा

सोमवार, 26 सितंबर 2011

रंगीन हवा

त्रिवेणी पर ताँका पोस्ट की शुरुआत हम नन्ही हाइकुकारा सुप्रीत  के लिखे पहले ताँका से करते हैं;जो अभी 12  वर्ष की है ।| आशा करते हैं कि आपको पढ़कर अच्छा लगेगा ।

चली हवाएँ
पतझड़ में पत्ते
उड़ने लगे
रंगीन हुई हवा 
चेहरा सहलाए !

सुप्रीत कौर सन्धु
(सिडनी -आस्ट्रेलिया )

रविवार, 25 सितंबर 2011

बिटिया दिवस पर विशेष


बिटिया दिवस(डॉटर्स डे ) की शुरुआत 2007 से हुई। यूनिसेफ, क्राई और आर्चीज़ ने मिलकर बिटिया दिवस की शुरुआत की। यूनिसेफ और क्राई ने पहले 24 सितंबर 2007 को बिटिया दिवस के रूप में मनाने का निश्चय किया था, मगर बाद में इसमें बदलाव कर सितंबर का चौथा रविवार चुना गया और पहली बार यह सितंबर के चौथे रविवार यानी 23 सितंबर, 2007 को मनाया गया। आप इस दिन को अपनी बेटी के साथ सेलिब्रेट करें। डॉटर्स डे को मनाए जाने की सबसे बड़ी वजह थी कि हर रोज 100 से भी ज्यादा लड़कियों को जन्म लेने से पहले ही मार दिया जाता है या जन्म लेते ही लावारिस छोड़ दिया जाता है। आज भी समाज में कई घर ऐसे हैं, जहां बेटियों को बेटे के मुकाबले अच्छा खाना और अच्छी पढ़ाई नहीं दी जा रही हैं। इन्हीं सब भेदभाव को मिटाने के लिए बिटिया दिवस मनाने पर जोर दिया गया।

रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' के हाइकुओं पर आधारित हाइगा