शुक्रवार, 16 जुलाई 2021

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 रामेश्वर काम्बोज हिमांशु

1

शब्द-मंजरी

बिखरी उर-घाटी


प्रफुल्ल-प्राण

दिव्य-सुवास-बसी

तुम मन्त्रमुग्धा-सी।

2

शब्द-निर्झर

आकण्ठ झूमा उर

श्वास-तार पे

गीत हो सुरभित

मंत्रमुग्धा मन  में

 

20 टिप्‍पणियां:

Rashmi Vibha Tripathi ने कहा…

बहुत सुन्दर एवं भावपूर्ण।
हार्दिक बधाई आदरणीय।

सादर

Rashmi Vibha Tripathi ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Sudershan Ratnakar ने कहा…

बहुत सुंदर उत्कृष्ट ताँका। बधाई

Upma ने कहा…

बहुत सुंदर

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

अतिसुन्दर ताँका! हार्दिक बधाई आदरणीय भैया जी!

~सादर
अनिता ललित

शिवजी श्रीवास्तव ने कहा…

वाह,बेहतरीन ताँका।हार्दिक बधाई आदरणीय भाई साहब

Kamlanikhurpa@gmail.com ने कहा…

सुंदर शब्दों और भावों से सज्जित ताँका । हार्दिक बधाई भैया

भीकम सिंह ने कहा…

बहुत ही खूबसूरत झाँका,हार्दिक शुभकामनाएँ ।

भीकम सिंह ने कहा…

कृपया झाँका को ताँका पढें, धन्यवाद ।

Krishna ने कहा…

बेहद सुंदर ताँका...हार्दिक बधाई।

श्याम त्रिपाठी ने कहा…

बहुत ही सुंदर शब्दों से जैसे चुने हुए मोती ! पढ़कर मन प्रसन्न हो गया |बहुत सारी बधाई -श्याम हिंदी चेतना

नीलाम्बरा.com ने कहा…

अनुपम सृजन। हार्दिक शुभकामनाएँ!

सहज साहित्य ने कहा…

सभी का तहे दिल से आभारी हूँ ।
रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुन्दर सृजन।

Ramesh Kumar Soni ने कहा…

आकंठ झूमा उर , अच्छा प्रयोग है।

सुंदर ताँका सृजन की बधाई।

Dr. Purva Sharma ने कहा…

बिखरी उर-घाटी
तुम मन्त्रमुग्धा-सी... वाह !
बहुत सुन्दर सृजन
नमन एवं हार्दिक शुभकामनाएँ

Sushila Sheel Rana ने कहा…

बिखरी उर-घाटी
'उर घाटी' बेजोड़ रूपक।
दोनों अति मनभावन, अति सुंदर ताँका ! विभोर करता शब्द-संयोजन।

उत्कृष्ट सृजन हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय भैया।

dr.surangma yadav ने कहा…

बहुत सुंदर।

सविता अग्रवाल 'सवि' ने कहा…

बहुत सुंदर शब्दों से सुसज्जित ताँका हैं भाई साहब हार्दिक बधाई।

Anita Manda ने कहा…

शब्द मंजरी, उर घाटी
कितनी सुंदर उपमाएं ली हैं, वाह।
बहुत सरस।