शनिवार, 4 फ़रवरी 2023

1106-सवाल ?

 रामेश्वर काम्बोज हिमांशु


1

चिड़िया पूछे-

कहाँ है दाना -पानी

बड़ी हैरानी

फिर मैं कैसे गाऊँ ?

आकर तुम्हें जगाऊँ ।

2

दो घूँट पानी

चुटकी भर दाने

दे दो मुझको

आ जाऊँगी मैं नित

हर भोर में गाने ।

3

जगे गगन

खिलता है आँगन

ज्यों उपवन

पंछी गीत सुनाएँ

आरती बन जाए 


4

चिड़िया पूछे-

बता पेड़ क्यों काटे

घर था मेरा

अधिकार क्या तेरा

मर्यादा सब खोई ।

5

काटे हैं वन

धरती का जीवन

सिमट गया 

नदिया भूखी-रूखी

लगती विकराल ।

6

नीड़ है खाली

झुलसे तरुवर

बरसी आग

पसरा है सन्नाटा

विषधर ने काटा ?

बिखरी रेत

चिड़िया है नहाए

मेघ भी देखे

चिड़िया यूँ माँगे है

सबके लिए पानी ।

-0-

16 टिप्‍पणियां:

Poonam ने कहा…

सुन्दरम-मार्मिक ताँका

Sonneteer Anima Das ने कहा…

इन प्रश्नों के साथ प्रतिदिन जूझती हूँ 🌹🙏अति मर्मस्पर्शी सर.... 🙏🌹बस स्वार्थी मानव को यह समझमें आ जाए 🙏🌹

surbhidagar001@gmail.com ने कहा…

बहुत ही सुंदर व‌ मार्मिक ताँका , बधाई आपको।

भीकम सिंह ने कहा…

विवशता का बोध कराते सवाल, बेहतरीन ताँका, हार्दिक शुभकामनाएँ सर ।

Anita Manda ने कहा…

मर्मस्पर्शी

प्रीति अग्रवाल ने कहा…

सवाल कई , क्यों हल नहीं?
बहुत सुंदर तांका आदरणीय भाई साहब, विशेषतः बिखरी रेत...
धन्यवाद!

Ramesh Kumar Soni ने कहा…

हिंदी ताँका में इस नवाचार का स्वागत है।
सभी ताँका अच्छे हैं, इसी प्रकार मार्गदर्शन की आपसे, सभी को प्रतीक्षा रहती है-बधाई।

बेनामी ने कहा…

अत्यंत मर्मस्पर्शी प्रश्न। मानव स्वार्थ की सीमा पर कहाँ तक जाएगा? उत्कृष्ट सृजन के लिए हार्दिक बधाई।

बेनामी ने कहा…

सुदर्शन रत्नाकर

बेनामी ने कहा…

बहुत ही मार्मिक ताँका।

काश इन सारे सवालों का जबाव आज का आदमी अपने स्वार्थ की सीमा से परे जाकर ढूँढ पाता।

उत्कृष्ट सृजन की हार्दिक बधाई 💐🌷🌹

सादर

dr.surangma yadav ने कहा…

मनुष्य कितना भी इन सवालों से बच ले,उसे एक न एक दिन इनका सामना करना ही होगा, जितना वह देर करेगा संकट उतना ही गहराएगा।उत्कृष्ट सृजन के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय।

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

यथार्थ चित्रण करते सभी ताँका! उत्कृष्ट सृजन!
जिस मानव को ईश्वर ने बुद्धि से नवाज़ा है, वो उसे सद्बुद्धि भी अता करे!

~सादर
अनिता ललित

सहज साहित्य ने कहा…

आपकी सार्थक टिप्पणियों के लिए हृदय से आभार

Krishna ने कहा…

बहुत मर्मस्पर्शी ताँका...हार्दिक बधाई भाईसाहब।

डॉ. पूर्वा शर्मा ने कहा…

बेहतरीन रचनाएँ
बधाई गुरुवर

Kamlanikhurpa@gmail.com ने कहा…

कटु सत्य को उजागर करती बेहतरीन रचना
पसरा सन्नाटा... क्या विषधर ने काटा ? अप्रतिम