शशि पाधा
उसे चटाई पर बिठाया था मैंने। अभी–अभी बैठना सीखा था उसने । खिड़की के बाहर एक पेड़ था । पेड़ की पत्तियों
से छनकर धूप चटाई पर पड़ रही थी । वो धूप
को छूने लगा,अपनी
नन्ही-नन्ही अँगुलियों से पकड़ने लगा । पत्तियों की छाया के साथ धूप चटाई पर अनेक
चित्र बना रही थी ।कभी बेल बूटे,कभी तितलियाँ और कभी पंछी । वो
उन आकारों को देखकर कभी तो किलकारियाँ भर रहा था और कभी उन्हें अपनी छोटी–छोटी मुट्ठियों में कैद करने का प्रयत्न कर रहा था । मेरे सातमहीने के पोते शिव और धूप के बीच होती इस बाल क्रीडा
ने मेरा मन मोह लिया।आप ही बताएँ कि क्या इस से भी मोहक कोई और दृश्य हो सकता है
?
1
मुट्ठी में बाँधे
धूप की तितलियाँ
अबोध शिशु ।
2
हाथों से छुए
धूप -परछाइयाँ
उड़ते पंछी ।
-0-
12 टिप्पणियां:
sahi kaha isse sunder drshy koi ho hi nahi sakta hai
bahut khoob
badhai
rachana
शशि पाधा की रचना पाल क्रीड़ाओं का यथार्थ चित्र प्रस्तुत करती है । उन्हें बधाई ।
पर ज़रा हाइवन को स्पष्ट करें । मैं इसे नहीं जानता ।
सुन्दर शब्द चित्र हाइबन में...सादर बधाई शशि जी को!!
Wonderful!
बस यही परम सुख है जिसे आपने बेहद खूबसूरत शब्दों में बयान कर दिया .
bht sundr abhivykti
surdaas ji ki krishn baal liiaa yaad aagii -
mnimy knk nnd kaen aanagan bibb pkrbaen dhaavt
kbhun nirikh hari aapu cha nh kon kr soun pakaran chaahat .
bht sundr abhivykti
surdaas ji ki krishn baal liiaa yaad aagii -
mnimy knk nnd kaen aanagan bibb pkrbaen dhaavt
kbhun nirikh hari aapu cha nh kon kr soun pakaran chaahat .
b
bal leela ka sunder chitran hai .shshi ji apko badhai.
pushpa mehra.
मनोमुग्धकारी हाइबन ... सचमुच सुख बरसाती अनुपम रचना है !
हार्दिक बधाई !!
यह मेरा पहला प्रयास था | आप सब ने पसंद किया , धन्यवाद आप सभी मित्रों एवं सम्पादक द्वय का आभार |
शशि पाधा
bada sunder v sahaj chitran hai baal kreera ka...shashiji aap badhai kee paatr hai.
शशि जी इतने सुन्दर भाव और इस नए प्रयास के लिए हार्दिक बधाई |
सविता अग्रवाल"सवि"
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