शनिवार, 24 जनवरी 2015

माँ स्वरात्मिके !



ज्योत्स्ना प्रदीप

माँ स्वरात्मिके !
हे बोधस्वरूपिणी !
तेरा ही नाद ,
बिन्दु से ब्रह्माण्ड में।
पाता आह्लाद,
कण भी संगीत से ,
सुर -ताल को -
बाँधतीं हो गीत से।
अधिष्ठात्री हो
विद्या ,ज्ञान बुद्धि की
आत्म -शुद्धि की ,
तुम ही माँ धात्री हो।
ढाल देती हो
शोक को भी श्लोक में ,
तेरे ही स्वर
गूँजें हर लोक में।
ये उपनिषद्  ,
वेद और पुराण
तेरी ही गति
तेरे ही देह -प्राण।
करो उच्छेद
सम्पूर्ण अज्ञान का
रहे न भेद
जाति ,धर्म नाम का
हे महावाणी !
जुग कुटुम्ब बने
ऐसा वर दो
पुण्य -ज्योति भर दो ,
रवि - मन कर दो।
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11 टिप्‍पणियां:

Subhash Chandra Lakhera ने कहा…

आपको यह बसंत,
खुशियाँ दे अनंत |
कृपा हो माँ भगवती,
जय माता सरस्वती।
स्नेह आपका बना रहे,
दिल हमेशा यही कही।।
बसंत पंचमी की आप सब को हार्दिक शुभकामनाएं |

Pushpa mehra ने कहा…

ma sarasvti ki aradhana mein likha gaya choka bahut achha likha hai.
jyotsana ji apko badhai.
pushpa mehra.

ज्योति-कलश ने कहा…

बहुत भावपूर्ण स्तुति है ज्योत्स्ना जी ! माँ कैसे न सुनेंगीं | बहुत शुभ कामनाएँ ...जय माँ शारदे !

Manju Gupta ने कहा…

पुण्य -ज्योति भर दो ,
रवि - मन कर दो
sundr panktiyaan sb pr vrse aashiirvaad .
maan saraswati ki vndnaa kaa utkrisht chokaa .

nayee dunia ने कहा…

हे महावाणी !
जुग कुटुम्ब बने
ऐसा वर दो
पुण्य -ज्योति भर दो ,
रवि - मन कर दो।

Jyotsana pradeep ने कहा…

aap sabhi sadhakon ka abhaar..ma hum sabhi ke mastak par snehpurn asheesh jhartee rahe.

मेरा साहित्य ने कहा…

जाति ,धर्म नाम का
हे महावाणी !
जुग कुटुम्ब बने
ऐसा वर दो
पुण्य -ज्योति भर दो ,
रवि - मन कर दो।
ati sunder bahut bahut badhai
rachana

Unknown ने कहा…

बहुत सुंदर कशमीरी चावला

Unknown ने कहा…

Very good work for literature.
.kashmiri lal chawka

Jyotsana pradeep ने कहा…

rachna ji ,kashmiri ji ..utsaahvardhan ke liye aabhaar .

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

बहुत सुन्दर...माँ सरस्वती के चरणों में नमन !