शुक्रवार, 30 जनवरी 2015

अँगना आया कौन !



सुदर्शन रत्नाकर
1
बहाती रही
निरन्तर रजनी
ओस के आँसू
पर मिल न पाई
प्रियतम सूर्य से ।
2
कुहासा हटा
 बही  फागुनी हवा
खिले हैं फूल
पिक ने तोड़ा मौन
अँगना आया कौन !
3
झंकृत हुए
मन-वीणा के तार
बही जो हवा
मुस्कुराई वीथिका
खिले फूल पलाश ।
-0-

9 टिप्‍पणियां:

Manju Gupta ने कहा…

बहाती रही
निरन्तर रजनी
ओस के आँसू
पर मिल न पाई
प्रियतम सूर्य से ।
yh vishesh , sbhi utkrisht
badhaai

nayee dunia ने कहा…

bahut sundar ..

Pushpa mehra ने कहा…

sabhi tanka sunder likhe hain badhai.
pushpa mehra.

मेरा साहित्य ने कहा…

कुहासा हटा
बही फागुनी हवा
खिले हैं फूल
पिक ने तोड़ा मौन
अँगना आया कौन !
aapki lekhni ko naman bahut sunder likha hai
badhai
aapko
rachana

Krishna ने कहा…

बहुत सुन्दर ताँका....बधाई आपको!

ज्योति-कलश ने कहा…

bahut sundar ..saras !!

haardik badhaaii

Shashi Padha ने कहा…

कुहासा हटा
बही फागुनी हवा
खिले हैं फूल
पिक ने तोड़ा मौन
अँगना आया कौन !
वसंतागमन की आहट है इस तांका में | सभी मनभावन | बधाई आदरणीय सुदर्शन जी |

शशि पाधा

Jyotsana pradeep ने कहा…

sunder srajan ke liye aapko badhai hai.

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

सुन्दर बिम्बों से सजा तांका बहुत मनभावन लगा...| हार्दिक बधाई...|