अनिता ललित
बही तरंग
तितलियों के संग,
मेरे आँगन-
क्या ख़ूब खिले आज
फूलों के रंग !
बहकी बयार है,
खोया है मन
पूनम के चाँद में-
ढूँढ़े सजन।
बीते बरस जब
गूँजी थी धुन,
भीगा था तन-मन
टेसू के संग
अबीर-गुलाल थे
बातों के रंग !
यादों की गलियों में
ख़्वाबों को चुन,
सजल नयन ये
हुए हैं गुम।
कहाँ खोई होली की
वह बौछार?
फागुन के गीत वो
प्रीतोपहार ?
करो कोई जतन
हो न मलाल-
कि अबकी फागुन
ला दो गुलाल,
साजन की प्रीत सा
मनभावन-
जो महका दे मन
जो रंग दे जीवन !
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11 टिप्पणियां:
waah waah bahut behtreen srijan preet ki pyaas rango ki bhaar liye ...badhaayi Anita ji really too gud :)
waah waah bahut behtreen srijan
badhaayi Anita ji :)
preei ki aas liye manbhavan choka...anita ji aapko bahut -bahut bashai .
होली के रंगों में रंगा बहुत ही सुन्दर चोका. होली का इसमें रंग चोखा है. अनिता जी को बधाई. सुरेन्द्र वर्मा
Bahut khoob!
आप के स्नेही प्रोत्साहन का हृदय से आभार गुंजन जी, ज्योत्स्ना जी तथा आ. डॉ. सुरेन्द्र वर्मा जी।
~सादर
अनिता ललित
वाह अनीता जी, आप ने तो सारे रंग उढ़ेल दिए | बहुत सुन्दर तांका | बधाई
शशि पाधा
sundar bhaavanaon ke rang se saja bahut sundar choka ..haardik badhaaii Anita ji !
shubh kaamanaaon ke saath
jyotsna sharma
bahut sunder panktiyan hain . anita ji apako badhai.
pushpa mehra.
विभिन भावों के रंग में डूबा एक खूबसूरत चोका...|
हार्दिक बधाई...|
Bahut prempurn choka bahut bahut badhai...
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