शशि पाधा
1
जब चुभती घाम हुई
अम्बर डोल गया
तारों की छाँव हुई ।
2
द्वारे पर आहट है
साँकल
खुलती ना
कैसी घबराहट है ।
3
कुछ मन था भरमाया
रात अकेली थी
लो,
चाँद चला आया ।
4
मौसम भी भीग गया
धरती ओस -जड़ी
अम्बर भी रीझ गया ।
5
मत समझो छोटी -सी
प्रीत सहेजी है
सीपी में मोती -सी ।
6
चाँदी में जड़नी है
प्रीत नगीने -सी
बिंदी में मढ़नी है ।
7
कोई हेरा-फेरी ना
बिंदी माथे की
बस तेरी, मेरी ना ।
8
जग ने यह जान लिया
चन्दन -खुशबू का
नाता पहचान लिया ।
9
मन आज कबीरा सा
प्रेम चखा जबसे
बाजे मंजीरा सा ।
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13 टिप्पणियां:
सभी माहिया भावपूर्ण, 1 और 2 बहुत भाये... बधाई शशि जी को !
सभी माहिया भावपूर्ण, 1 और 2 बहुत भाये... बधाई शशि जी को !
शशि जी भावपूर्ण सुन्दर माहिया ?यह वाला तो इतना जँचा कि मन नाच उठा - मन आज कबीरा सा / प्रेम चखा जबसे / बाजे मंजीरा सा । हार्दिक बधाई ।
प्रीत जताते सभी अप्रतिम माहिया
बधाई
बहुत सुंदर सरस माहिया शशि जी बधाई |
बहुत सुंदर भावपूर्ण माहिया शशिजी
धन्यवाद आप सब स्नेही मित्रों का
शशि पाधा
मन आज कबीरा सा
प्रेम चखा जबसे
बाजे मंजीरा सा ।
बहुत सुंदर !!
बहुत भावपूर्ण माहिया शशि जी हार्दिक बधाई
मन आज कबीरा सा
प्रेम चखा जबसे
बाजे मंजीरा सा ।
बहुत ही सुंदर माहिया। अन्य सभी छंदों ने भी प्रभावित किया। बधाई शशि जी
वाह बहुत बढ़िया माहिया की रचना की है शशि जी हार्दिक बधाई |
mahiya man men bas gaye meri hardik badhai..
sadaa kii tarah ...
bahut sundar bhaavpoorn maahiyaa diidii ... haardik badhaaii !!
सभी माहिया बहुत अच्छे लगे, पर ये सबसे ज्यादा मन को भाया...|
कुछ मन था भरमाया
रात अकेली थी
लो, चाँद चला आया ।
हार्दिक बधाई...|
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