शनिवार, 18 जून 2016

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1-डॉ जेन्नी शबनम
1
गहरा नाता  
मन-आँखों ने जोड़ा  
जाने दूजे की भाषा,  
मन जो सोचे - 
अँखियों में झलके  
कहे सम्पूर्ण गाथा !  
2
मन ने देखे  
झिलमिल सपने  
सारे के सारे अच्छे , 
अँखियाँ बोलें-
सपने तो सपने  
होते नहीं अपने !  
3
बावरा मन  
कहा नहीं मानता  
मनमर्ज़ी करता , 
उड़ता जाता  
आकाश में पहुँचे  
अँखियों को चिढ़ाए !  
4
आँखें ही होती  
यथार्थ हमजोली  
देखें अच्छी व बुरी  
मन बावरा  
आँखों को मूर्ख माने  
धोखा तभी तो खाए !  
5
मन हवा-सा  
बहता ही रहता  
गिरता व पड़ता , 
अँखिया रोके  
गुपचुप भागता  
चाहे आसमाँ छूना !  
-0-
2-डा सरस्वती माथुर
1
मन -लहरें
उठती गिरती है
सुधियों के सागर
बूँदें बनके
सीपियों के खोल में
मोती बन ढलती ।
2
परिक्रमा की
सूर्य ने धरती पे
समूचे क्षितिज पे
धूप चमकी
नए- नए रंगों से
धरती भी दमकी।
3
रतजगा है
चाँद का गगन में
उनींदी है चाँदनी,
धरा- आँगन
भोर को कातकर
धूप सेज पे सोई।
-0-

15 टिप्‍पणियां:

सीमा स्‍मृति ने कहा…

डॉ जेन्नी शबनम जी और डा सरस्वती माथुर जी क्‍या कमाल के सदोका। मन लहरें......मन हवा......क्‍या बात मन की गहरी में बँधे मन के सदोका। मन -सागार से हार्दिक बधाई

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (19-06-2016) को "स्कूल चलें सब पढ़ें, सब बढ़ें" (चर्चा अंक-2378) पर भी होगी।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

Shashi Padha ने कहा…

सारगर्भित सेदोका के लिए दोनों रचनाकारों को बधाई | भावों की विविधता एवं सुंदर शब्द संयोजन इन्हें उत्कृष्ट रचना बनाता है | शुभकामनाएँ |

शशि पाधा

Sudershan Ratnakar ने कहा…

जेन्नीजी एवं डॉ सरस्वती माथुर जी बहुत सुंदर भावपूर्ण सेदोका। आप दोनों को बधाई।

Krishna ने कहा…

बेहतरीन सेदोका....जेन्नी जी, सरस्वती जी हार्दिक बधाई।

सविता अग्रवाल 'सवि' ने कहा…

जेन्नी जी और सरस्वती जी मन के भावो को ख़ूबसूरती से शब्दों में पिरोकर प्रस्तुत किया है हार्दिक बधाई ।

Vibha Rashmi ने कहा…

जेन्नी शबनम जी व सरस्वती माथुर जी के सेदोका बहुत सुंदर हैं ।आप दोनों को बधाई ।

Unknown ने कहा…

जेन्नी जी और सरस्वती जी बहुत भाये आप दोनों के सेदोका । (जेन्नी जी आप ने तो मन को बहुत कुछ कह दिया एक तो बेचारा तन अन्दर छुपा बैठा है उसका भी जी करता होगा उड़ने आकाश छूने को अँखियाँ तो बस देख सकती हैं वर्ज सकती हैं मन को उड़ान भरने दो न )।मन को हवा का रूप दिया बहुत अच्छा लगा । सुन्दर रचनायें बधाई दोनों को ।

Jyotsana pradeep ने कहा…

बहुत सुंदर हैं सेदोका....जेन्नी जी, सरस्वती जी हार्दिक बधाई।

sushila ने कहा…

जेन्नी जी और सरस्वती जी को सुंदर सेदोका के लिए बधाई !

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

sabhi rachnayen bahut bhavpurn hain meri bahut bahut badhai..

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

मेरे सेदोका को पसंद करने के लिए सभी आप सभी का हृदय से आभार. आप सभी का स्नेह मेरी रचना को यूँ ही मिले मेरी आकांक्षा है.
सरस्वती जी के सेदोका मन को बहुत भाए, बहुत बधाई आपको.

ज्योति-कलश ने कहा…

behad khoobasoorat rachanaayen !
dono rachanaakaaron ko bahut badhaaii !!

Prerana ने कहा…

जेन्नी जी और सरस्वती जी आप दोनों की मन को छू लेने वाली सुंदर रचनाओं के लिए बहुत-बहुत बधाई

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

बहुत प्यारे सेदोका हैं...हार्दिक बधाई...|