माहिया
1-सुदर्शन
रत्नाकर
1
बिन मौसम सावन है
रिश्ता ये अपना
पूजा-सा पावन है ।
2
बिन सावन घन बरसे
पुत्र विदेश गया
माँ की आँखें तरसें ।
3
मेघा ना बरसे हैं
सूख गई धरती
बिन पानी तरसे है ।
4
चाँदी-सी रातें हैं
आ मिल बैठ करें
दिल में जो बातें हैं।
5
मिसरी की डलियाँ हैं
खिलने दो इनको
कोमल ये कलियाँ हैं।
6
हर घाट लगा पहरा
मोती लाएगा
साहस जिसका गहरा ।
7
महलों में रहते हैं
वो कैसे जाने
निर्धन दुख सहते हैं।
8
कंचन- सी काया है
मत अभिमान करो
पल भर की माया है।
9
सागर की लहरें हैं
कैसे टूटें वो
रिश्ते जो गहरे हैं।
10
सुख -दुख तो छाया है
सब कुछ सह ले तू
प्रभु की यह माया है।
11
खिलती ना कलियाँ हैं
आन मिलो सजना
सूनी सब गलियाँ हैं।
12
ऐसा क्यों होता है
बचपन को देखो
पटरी पर सोता है।
13
माना दुख सहती है
सागर से मिलने
पर नदिया बहती है।
14
दिल की ये बातें हैं
दिन तो कट जाता
कटती नहीं रातें हैं।
15
ममता की तू छाया
तेरे आँचल में
सारा ही सुख पाया।
-0-
2-डॉ.सरस्वती माथुर
1
मन मेरा बावरिया
चाँद निकल आया
आजा अब साँवरिया ।
2
तारे नभ में आए
मन के द्वारे पर
बीते पल के साए।
3.
है मन मेरा भारी
साजन की यादें
लगती मुझको आरी
4
मन तो एक धागा है
परदेसी बलमा
कोठे पर कागा है ।
5
कोयल काली बोली
मौसम बीत गए
पर प्रीत नहीं डोली ।
-0-
1
मन मेरा बावरिया
चाँद निकल आया
आजा अब साँवरिया ।
2
तारे नभ में आए
मन के द्वारे पर
बीते पल के साए।
3.
है मन मेरा भारी
साजन की यादें
लगती मुझको आरी
4
मन तो एक धागा है
परदेसी बलमा
कोठे पर कागा है ।
5
कोयल काली बोली
मौसम बीत गए
पर प्रीत नहीं डोली ।
-0-
3-श्वेता राय
1
छलकेँ अँखियाँ कारी
हिय में जब चलती
यादों की पिचकारी ।
हिय में जब चलती
यादों की पिचकारी ।
2
अम्बर की अँगड़ाई
नित -नित भरती है
धरती में तरुणाई।
नित -नित भरती है
धरती में तरुणाई।
3
बदरी अब आ जाओ
प्यासी है धरती
इसको मत तरसाओ।
प्यासी है धरती
इसको मत तरसाओ।
4
दिल की ये हसरत है
भर लूँ बाँहों में
प्यारी जो सूरत है।
भर लूँ बाँहों में
प्यारी जो सूरत है।
5
जीने की ताकत है
दिल में जो बसती
यादों की रंगत है।
दिल में जो बसती
यादों की रंगत है।
5
रितु पावस की आई
बूँदों को छू कर
बहकी है तरुणाई
बूँदों को छू कर
बहकी है तरुणाई
-0-
12 टिप्पणियां:
सभी माहिया एक से बढ़कर एक !
हार्दिक बधाई सुदर्शन दीदी, सरस्वती जी एवं श्वेता जी !!!
~सादर
अनिता ललित
बहुत प्यार भरे हैं सभी बहनों के माहिया । ढेर बधाई लें सुदर्शन जी, सरस्वती जी व श्वेता जी ।
सनेह - विभा रश्मि
बहुत प्यार भरे हैं सभी बहनों के माहिया । ढेर बधाई लें सुदर्शन जी, सरस्वती जी व श्वेता जी ।
सनेह - विभा रश्मि
वाहहहहहहहहह.....बहुत खूब...
सभी माहिया उत्तम !!
सामूहिक बधाई....डॉ.माथुर जी,सुदर्शन जी,श्वेता जी
बेहद सुन्दर सभी माहिया....सुदर्शन जी, सरस्वती जी, श्वेता जी आप सबको बहुत बधाई!
विभिन्न रंग रूप भरे माहिया त्रिवेनी में जैसे संगीत गूंज उठा । बहुत सुन्दर लगे सभी माहिया । हृदय से बधाई सभी रचनाकारों को ।
ऐसा क्यों होता है, बचपन को देखो, पटरी पर सोता है, बहुत ही सुन्दर रचना है। वैसे सभी माहिया बहुत अच्छे बन पडे हैं। सांगीतिक स्वर हैं। सभी रचनाधर्मियों को बधाई।- सुरेन्द्र वर्मा।
ऐसा क्यों होता है, बचपन को देखो, पटरी पर सोता है, बहुत ही सुन्दर रचना है। वैसे सभी माहिया बहुत अच्छे बन पडे हैं। सांगीतिक स्वर हैं। सभी रचनाधर्मियों को बधाई।- सुरेन्द्र वर्मा।
सभी माहिया बहुत पसंद आए...| आप सभी को हार्दिक बधाई...|
बहुत सरस , मधुर माहिया !
सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई !
मन को छू लेने वाले माहिया !
हार्दिक बधाई सुदर्शन दीदी, सरस्वती जी एवं श्वेता जी !!!
हम मुकतसर से तीन आखब
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