1-जीवन- छंद
भावना सक्सैना
भावना सक्सैना
खंड -खंड हो
रचते रहे नए
जीवन- छंद
हर छंद में आस
माँगते हवि
प्रेम के अनुबंध।
मौन वेदना
स्वरों में ढले नहीं
लीलते रहे
अस्तित्व जीवन का
ओढ़े हुए सम्बन्ध।
-0-
2-ताल में पानी नहीं
सुदर्शन रत्नाकर
सूर्य है उगा
प्रचंड रूप धरा
उग्र किरणें
अनल बरसाएँ
लू के थपेड़े
तन- मन जलाएँ
राह भटकें
धूल भरी आँधियाँ
शुष्क धरती
सूखे पेड़ -पत्तियाँ
जली है दूब
खोया अपना रूप
नदियाँ सूखीं
भीषण है आतप
व्याकुल पक्षी
कहाँ प्यास बुझायें
किधर जाएँ
पेड़ों की छाया नहीं
ताल में पानी नहीं।
-0-सुदर्शन रत्नाकर,ई-29, नेहरू ग्राउण्ड फ़रीदाबाद -121001
मो. 9811251135
-0-
2- यादों का वसंत
कृष्णा
वर्मा
जब भी मेरे
मन- उपवन में
उतर आता
तुम्हारी स्मृतियों का
मोही वसंत
ढुलक जाता प्यार
मेरी कोरों से
नेह की बूँद बन
महक जाता
है मेरा रोम-रोम
अहसासों की
संदली खुशबू से
उर कमल
पर तिर आते हो
ओस कण से
दहक उठते हैं
रक्तिम गाल
तुम्हारी स्मृतियों से
अजाने सुर
करते हैं झंकृत
हृदय वीणा,
मदमाता है मन
थिरक उठे
अनचीन्हीं थाप से
हिय तल पे
बोया था कभी रिश्ता
उग आया है
फूट आई हैं प्रीत
ले स्वर्णिम पत्तियाँ।
-0-
3. सुनो कविता !
सत्या शर्मा ' कीर्ति '
सुनो कविता
तुम रचते जाना
मेरे दिल की
हर व्यथा कथा को
जो निकली हो
दर्द के दरिया से
उस गहन
वेदना से सिंचित
शब्दों के पौधे
जीवन के पन्नों पे
रोपती जाना
सुनो कविता तुम !
उगती जाना ।
भावों के ज्वारभाटे,
करती मुझे
विचलित यादें
पकड़ सको
खुशियों के जो पल
बन के आँसू
आँखों की कोरों संग
ढलती जाना
सुनो कविता तुम
बहती जाना ।
कल-कल बहती
मेरे अंदर
है प्रेम समंदर
फिर भी सूखा
जन्मों से मेरा मन
बूँद -बूँद सा
छलक- छलकके
मेरे मन को
तृप्त करती जाना
सुनो कविता !
मेरे ही संग तुम
बस चलती जाना ।
सुनो कविता
तुम रचते जाना
मेरे दिल की
हर व्यथा कथा को
जो निकली हो
दर्द के दरिया से
उस गहन
वेदना से सिंचित
शब्दों के पौधे
जीवन के पन्नों पे
रोपती जाना
सुनो कविता तुम !
उगती जाना ।
भावों के ज्वारभाटे,
करती मुझे
विचलित यादें
पकड़ सको
खुशियों के जो पल
बन के आँसू
आँखों की कोरों संग
ढलती जाना
सुनो कविता तुम
बहती जाना ।
कल-कल बहती
मेरे अंदर
है प्रेम समंदर
फिर भी सूखा
जन्मों से मेरा मन
बूँद -बूँद सा
छलक- छलकके
मेरे मन को
तृप्त करती जाना
सुनो कविता !
मेरे ही संग तुम
बस चलती जाना ।
-0-
21 टिप्पणियां:
सभी रचनाकारों को सुंदर शब्दपुष्पों हेतु हार्दिक बधाई।
भावना सक्सेना जी,कृष्णा वर्मा जी एवं सत्या शर्मा जी बेहद भावपूर्ण रचनाएँ हैं आपकी ।बहुत बहुत बधाई।
सुदर्शन रत्नाकर जी प्रकृति के उद्दीपन रूप का प्रभावशाली
चित्रण,बधाई आपको।
वाह, सुंदर रचनाएँ। बधाई।
सुन्दर रचनाएं | सभी रचनाकारों को साधुवाद | सुरेन्द्र वर्मा |
sabhi rachnakaron ko meri dher sari badhai...
मेरी रचना को स्थान देने के लिए सादर आभार सम्पादक द्वय । हृदय से आभारी हूँ ।
साथ ही आदरणीय भावना जी , आदरणीय कृष्ण वर्मा जी ने बहुत ही सुंदर सृजन किया है । हार्दिक बधाई
सादर आभार आपका
बहुत बहुत धन्यवाद आपका
हार्दिक आभार अनिता जी
सादर धन्यवाद आपका
सादर धन्यवाद आदरणीय कविता जी
कविताजी, सुरंगमा जी, आ. सुरेन्द्र वर्मा जी,अनिता , डॉ भावना जी मेरी रचना पसंद करने के लिए हार्दिक आभार।
भावना, कृष्णा वर्मा जी, सत्या जी सुंदर सृजन के लिए हार्दिक बधाई।
आ. सुदर्शन जी, भावना जी, सत्या जी सुंदर रचनाओं के लिए बहुत-बहुत बधाई।
आप सभी के चौका बहुत सुंदर हैं
हार्दिक बधाई
वाह एक से बढ़कर एक चोका । सभी सृजनधर्मी कवयित्रियों को बधाई ।
भावों का इन्द्रधनुष देखने जैसा अहसास हुआ इन चोका रचनाओं को पढने के बाद | सभी रचनाकारो को बहुत बहुत बधाई |
शशि पाधा
सुगठित सुन्दर चोका रचनाएँ सभी रचनाकारों की । खूब बधाई भावपूर्ण अभिव्यक्ति के लिये आप सब को ।
सुन्दर , मनभावन सृजन ! सभी रचनाकारों को बहुत बधाई !!
आप सबकी रचनाएँ पढ़ना बहुत सुखद रहा... सभी एक से बढ़कर एक...आप सभी को बहुत-बहुत बधाई !
बहुत सुन्दर रचनाएँ...आप सभी को ढेरों बधाई...
आदरणीय कृष्ण वर्मा जी,सत्या जी बहुत सुंदर सृजन। हार्दिक बधाई
मेरी रचना को स्थान देने के लिए हृदय से आभारी हूँ ।
सादर,
भावना सक्सैना
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