रामेश्वर काम्बोज
‘हिमांशु’
1- प्राणों की डोर
प्राणों की डोर
प्रेम -पगे दो छोर
हाथ तुम्हारे।
तुम जो चल दिए
व्याकुल उर,
रेत पर मीन ज्यों
जिए न मरे
तड़पे प्रतिपल
पूछे सवाल-
'पहले क्यों न मिले
छुपे थे कहाँ? '
भूल नहीं पाएँगे
सातों जनम
ये स्वर्गिक मिलन,
शब्द थे मूक
चीर ही गई
रोता है अंतर्मन-
'अब न जाओ
मेरे जीवन धन'
वक़्त न रुका
छूट गया हाथ से
मन बाँधके
पकड़ा नहीं गया
वो आँचल का छोर।
-0-
2-चूमा
था भाल
चूमा था भाल
खिले नैनों के ताल
चूमे नयन
विलीन हुई पीर
चूमे कपोल
था बिखरा अबीर
भीगे अधर
पीकर मधुमास
चूमे अधर
खिला था रोम रोम
खुशबू उड़ी
भरा मन आकाश
कसे तुमने
थे जब बाहुपाश
तन वीणा के
बज उठे थे तार
कण्ठ से गूँजा
प्यार का सामगान
कानों में घोला
मादक मधुरस
तुम जो मिले
ताप भरे दिन में
धरा से नभ
खिले सौ-सौ वसन्त।
कामना यही-
हो पूर्ण ये मिलन
पुलके तन मन।
-0-
(सभी चित्र गूगल से साभार )
(सभी चित्र गूगल से साभार )
17 टिप्पणियां:
हार्दिक बधाई, भावपूर्ण चोका हेतु।
बहुत आभार कविता जी
दोनों चोकों में भावातिरेक । सुन्दर चोकों के लिये बधाई भाई ।
सुन्दर चोका । प्रेम की अनुपम भावपूर्ण अभिव्यक्ति लिये ।हार्दिक बधाई
bahut bhavpurn choka bahut bahut badhai aapko...
बहुत ही भावमय चोका । हार्दिक बधाई भैया जी
वाह !बेहद खूबसूरत!नमन सर
दोनों चोका , बहुत सुंदर भावपूर्ण
बहुत सुंदर भावपूर्ण दोनों चोका....हार्दिक बधाई
दोनों चोका अलग होते हुए भी प्रेम तत्व को केन्द्रित कर रहे हैं | बहुत सुंदर शब्द संयोजन| बधाई आपको|
आप सभी गुणिजन का आभार . आप सबका प्रोत्साहन मेरे लिए प्रेरक है .
बहुत सुंदर.... मर्मस्पर्शी चोका सर... प्रत्येक पंक्ति हृदय को छू लेती है
बहुत बढ़िया.;बधाई
बहुत सुन्दर तथा भावपूर्ण .... बहुत - बहुत बधाई आपको !
बहुत सुंदर !
प्रेमानुराग से परिपूर्ण बहुत सुन्दर चोका !
हार्दिक बधाई !!
वक़्त न रुका
छूट गया हाथ से
मन बाँधके
पकड़ा नहीं गया
वो आँचल का छोर।
किसी अपने से बिछड़ना शायद दुनिया के सबसे बड़े दुखों में भी अग्रणी है...| आपका ये चोका तो बस एकदम चीर जाता है...|
दूसरा चोका भी बहुत अच्छा लगा...| जैसे किसी तपते मन पर प्रेम की शीतल फुहार पडी हो...|
बहुत बहुत बधाई...|
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