बुधवार, 15 अगस्त 2018

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मन है ख़ाली-ख़ाली - अनिता ललित
1.
मन है ख़ाली-ख़ाली
पीकर दर्द सभी
रीती आखर-प्याली!
2.
सपने कुछ यूँ टूटे
अबकी सावन में
हैं ज़ख्म सभी फूटे!
3.
तूफ़ानों ने घेरा
पीर कहूँ  कैसे
माझी ने मुँह फेरा!
4.
दिल में तुम ही तुम थे
क्यों फिर चीर दिया
तुम बरसों से गुम थे!
5.
छाई है धूप कड़ी
सदियों की दूरी
है अपने बीच खड़ी
6.
तेरे-मेरे दिल के
बीच बिछे शोले
घावों को छिल-छिलके
7.
आँसू सब पी जाती
थाम अगर लेते
कुछ साँसें जी जाती!
8.
यों हाथ छुड़ाकर के
कौन गली भटके
तुम आज  भुलाकर के!
9.
वादा तोड़ न जाना
अब जो आए हो
मुझको छोड़ न जाना!
10.
संसार भुला बैठी
तुम पर आस टिकी
तुमको ही रुला बैठी
-0-अनिता ललित ,1/16 विवेक खंड ,गोमतीनगर ,लखनऊ-226010  

11 टिप्‍पणियां:

Anita Manda ने कहा…

मार्मिक चित्रण

Sudershan Ratnakar ने कहा…

मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति ।

Dr.Purnima Rai ने कहा…

हृदयस्पर्शी!!

Vibha Rashmi ने कहा…

मन को छू गए माहिया । सभी सुन्दर ।

सदा ने कहा…

संसार भुला बैठी
तुम पर आस टिकी
तुमको ही रुला बैठी
....
बहुत ही भावमय करती पंक्तियाँ उम्दा सृजन

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

प्रशंसा एवं सराहना हेतु आप सभी का हृदयतल से आभार!
मेरे माहिया को यहॉं स्थान देने हेतु संपादक द्वय का हार्दिक आभार!!!

~सादर
अनिता ललित

ज्योति-कलश ने कहा…

बहुत भावपूर्ण ,सुन्दर माहिया !

हार्दिक बधाई अनिता ललित जी !

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

तूफ़ानों ने घेरा
पीर कहूँ कैसे
माझी ने मुँह फेरा!
Bahut khub bahut bahut badhai

dr.surangma yadav ने कहा…

मन है ख़ाली ख़ाली ....
बहुत ही भावपूर्ण
सभी रचनाएँ बेहतरीन,अनिता जी हार्दिक बधाई आपको

Jyotsana pradeep ने कहा…


संसार भुला बैठी
तुम पर आस टिकी
तुमको ही रुला बैठी!
बहुत ही भावपूर्ण माहिया सखी ...हृदय तल से बधाई आपको !

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

बेहतरीन माहिया के लिए बहुत बधाई...|