शाश्वत शिलालेख- रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु '
1
शिला थी कभी
कितने आए-गए
आँधी -तूफ़ान
टकराकर थके
चूर
हो गए
कुछ न लिख पाए
बारिश आई
धोकर निकल गई
धूप बरसी
पिंघला नहीं सकी
शीत-जड़ता
पराजित हो गई।
आ गया कोई
पथिक चुपचाप
शिला को चूमा
अंकित कर दिए
मधु अधर,
कोमल कराग्र से
छुअन लिखी;
करतल की छाप
उभरी ,खिली
अनुराग दृष्टि से
जड़ शिला को
नई ज़िन्दगी मिली
पथिक चौंका-
यह क्या ज़ादू हुआ
अमृत झरा
द्वि अधरों -करों से
केवल छुआ !
शिला पर चित्रित
अधर -छाप
हृदय
के तल से
हृदय जुड़ा
जीवन्त हुई शिला
प्राण उमड़े
बाहें उग आईं
जुड़े दो प्राण
नेह में बाँध लिया
प्रिय पथिक !
आएँगी आँधियाँ भी
मेघ-विस्फोट
प्रलय मचाएगा
काँपेगी धरा
न तो टूटेगी शिला
लिखा जो शिलालेख
सामान्य जैसे
अधरों ने , करों ने।
क्योंकि छुपा है
विराट
रूप प्रेम
रोम -रोम में-
अधर -छुअन में
करों के-स्पन्दन में।
-0-( 05-08-2018)
22 टिप्पणियां:
अनुराग दृष्टि से
बहुत सुंदर, कोमल भाव।
बहुत गूढ़ भाव, हार्दिक बधाई सुन्दर सृजन हेतु।
सुकोमल भावाभिव्यक्ति। अति सुंदर।
सुंदर सृजन
बहुत सुंदर भाव और अभिव्यक्ति।
अनिता मण्डा,कविता जी सुरंगमा जी,रत्नाकर दीदी,रश्मि बहन आप सबका हृदयतल से आभार।
अति सुंदर भावाभिव्यक्ति।
बहुत सुंदर🙏
yaha choka ]k cumbak kam karta hai bahut khichav sa hai ismen itni gahan abhivykti ke liye kamboj ji aapko bahut bahut badhai...
राग-अनुराग भरा बहुत सुन्दर चोका !
हार्दिक बधाई आपको !
सरस एवं मनभावन सृजन आदरणीय सर !!नमन
सुंदर चोका की हर पंक्ति एक चित्र उकेर देती है ।
जीवंत रचना से रूबरू कराने के लिए आभार
अतिसुन्दर! गहन भाव लिए चोका आदरणीय भैया जी! प्रेम की शक्ति अतुल्य है, अनमोल है!!!
~सादर
अनिता ललित
शाश्वत प्यार जो कण कण में अदृश्य रूप में विराज मान है ।अनजाने उसके सम्पर्क में आने पर लगता है जैसे पत्थर सजीव हो उठा , जीवन जाग उठा ।
प्रेम की अनुपम अनुभूति चोका के रूप में सजीव हो उठी ।बहुत बहुत सुन्दर रचना आदरणीय कम्बोज जी ।
प्रेम की शाश्वतता को बहुत कोमल और भावपूर्ण लिखा है आपने, बहुत बहुत बधाई काम्बोज भाई.
गहन भावों की तहों meinअतिसुन्दर
गहन भावों की तहों में बसी प्रेम की अतिसुन्दर अभिव्यक्ति
है ये..ऐसी रचनाएँ पढ़कर मन को बहुत सुकून मिलता है
सादर नमन है आपकी लेखनी को आदरणीय !
डॉ.भावना जी , कमला घटुआरा जी ,डॉ पूर्णिमा जी बहन ज्योत्स्ना शर्मा , ज्योत्स्ना प्रदीप , जेन्नी शबनम , कमला निखुर्पा ,सविता मिश्रा ,अनिता ललित आप सबकी सराहना के लिए बहुत -बहुत आभार
कोमल भावों का सुन्दर गुलदस्ता । बधाई हिमांशु भाई ।
बहुत ही कोमल भावयुक्त सुंदर सृजन भैया
बहन विभा जी और सत्या शर्मा जी बहुत बहुत आभार
ह्रदय की गहराइयों से लिखा गया बेहद भावप्रवण चोका...बहुत पसंद आया...|
मेरी हार्दिक बधाई...|
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