1-जानते तो हो
कृष्णा वर्मा
जानते तो हो
नहीं पसंद मुझे
सवार होना
पाल लगी नाव में,
गवारा नहीं
मुझे हवा की मर्ज़ी
मान चलना
झेलूँ आवारगियाँ
मैं क्यों उसकी
भरोसेमंद हुईं
कब हवाएँ
बदलकर रुख़
गिरा दें पाल
छोड़ दे कहीं कश्ती
वो मझधार
जानती हूँ-तुम ना
थामोगे पतवार।
-0-
2-कृष्णा वर्मा
1
ग़म ख़ौफ न
बोझ होती ज़िंदगी
रहती खिली-खिली
होता सुर्ख़ुरू
जीना, समझते जो
मन इक-दूजे का।
2
तुम क्या जानो
जीवन रंगमंच
मैं ऊँचा
कलाकार
छिपा लेता हूँ
कैसे अपनी पीड़ा
हँसी की लकीरों में।
3
जलाए मन
पल-पल यह क्यों
तेरी सोच की आग
कैसे बताऊँ
है पाक मन मेरा
तेरा ही मन मैला ।
4
घुलता रहूँ
कैसे दिखलाऊँ मैं
अंतर्मन अपना
शंका मिटाता
सीना चीर दिखाता
होता राम भक्त सा।
-0-
8 टिप्पणियां:
सुंदर अभिव्यक्ति।
ऊँची कलाकारी है दीदी ! सुन्दर प्रस्तुति !
हार्दिक बधाई आपको |
तुम क्या जानो
जीवन रंगमंच
मैं ऊँचा कलाकार
छिपा लेता हूँ
कैसे अपनी पीड़ा
हँसी की लकीरों में।
वाह, अति सुंदर भावपूर्ण रचनाओं हेतु हार्दिक बधाई, आदरणीया, कृष्णा जी।
बेहद ख़ूबसूरत रचनाएँ हैं आद. कृष्णा जी .. .हृदय तल से बधाई आपको !
कृष्णा जी खूब सुन्दर चोका और सेदोका ।क्या कल्पना की उड़ान भरी है दिल की तह से निकाल कर सेदोका रचे हैं ।हार्दिक बधाई
Choka or sedoka dono bahut bhavpurn khubsurat hain bahut bahut badhai...
बहुत भावप्रवण सेदोका और चोका है | मेरी हार्दिक बधाई |
कृष्णा जी का सुन्दर चोका और सेदोका । बधाई ।
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