कमला निखुर्पा
1-चाहत मेरी
1
चाहत मेरी-
बूँद बन टपकूँ
मोती न बनूँ
पपीहे के कंठ की
सदा प्यास बुझाऊँ।
2
चाहत मेरी-
कस्तूरी मृग बन
छुप के रहूँ
महकाऊँ जो यादें
खोजें धरा-गगन ।
3
पावन हुई
वैदिक ऋचाओं -सी
जीवन -यज्ञ
समिधा बन जली
पूर्णाहुति दे चली ।
4
लो आई हवा
लेके तेरा संदेशा
रोए जो तुम
भीगा मेरा आँचल
गुमसुम मौसम ।
-0-
2- ओ री बरखा - कमला निखुर्पा
ओ
री बरखा
चले
जो तेरा चर्खा
बिखरी
रुई
भरा
है आसमान
बूँदों
के धागे
जमी
पे हैं बिखरे ।
भीजती
धरा
उड़े
तरु अँचरा
हँसी
चपला
धर
हाथ मुँह पे ।
सहमे
तृण
पात
-पात कंपित
बौराया
वट
बूँदों
की खटपट
डोला
पीपल
हवा
की हलचल
डबडबाई
तलैया
की अँखियाँ
आया
सावन
झूलीं
सब सखियाँ
आओ
बरखा !
चलाओ
तुम चर्खा
गाएँ
सखियाँ
रिमझिम
की तान
झूमे
सारा जहान ।
-0-21 जुलाई 2019
प्राचार्या, केन्द्रीय विद्यालय पिथौरागढ़
,पोस्ट ऑफिस – भरकटिया
(उत्तराखंड )पिन 262520
14 टिप्पणियां:
वाह, बरखा का चरखा बहुत ख़ूब
मन भीज गया।
वाकई,बरखा ने खूब चलाया चरखा!! बहुत बढ़िया कमला जी।
वाह! बहुत बढ़िया रचनाएँ. …. कमला जी बहुत बधाई।
वाह कमला जी बढ़िया सृजन, तांका और चौका दोनों ही मनभावन हैं हार्दिक बधाई |
ताँका और चोका दोनों मनभावन। बधाई कमला जी।
दोनों रचनाएँ बहुत ही सुंदर ...
हार्दिक शुभकामनाएँ ।
बहुत ही सुंदर एवं मनभावन रचनाएँ दोनों !
बहुत बधाई आपको आदरणीया कमला जी!
~सादर
अनिता ललित
बहुत ही सुन्दर रचनाएँ ।बहुत-बहुत बधाई आपको कमला जी।
कमला जी ताँका और चोका दोनों ही बहुत सरस और सुंदर हैं |
पुष्पा मेहरा
सुन्दर से तांका और मनभावन चोका के लिए बहुत बधाई कमला जी
कमला जी बहुत भावभीनी रचनाएँ | बरखा के चरखे की रूई का बिखरना एक अनुपम बिम्ब है | बिलकुल नया | बधाई आपको |
शशि पाधा
बहुत सारा धन्यवाद आप सभी श्रेष्ठ रचनाकारों का ।
रचना रच गई
आप सबको भा गई
मेरा सौभाग्य कि कोई मुझे बार-बार याद दिलाता है मैं लिख सकती हूं ।
सादर नमन
वाह कमला जी. बहुत सुन्दर रचनाएँ. हार्दिक बधाई.
ख़ूबसूरत रचनाओं के लिए बहुत-बहुत बधाई कमला जी!!
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