सेदोका
सुदर्शन रत्नाकर
1
मोती बिखरे
जल-चादर पर
बिछा किरण-जाल
उगता सूर्य
करता आलिंगन
सागर उर्मि साथ।
2
तपती धरा
खग हुए व्याकुल
ढूँढें शीतल छाया
झुलसे पंख
किसे बताएँ दु:ख
नहीं पेड़ों का संग।
3
चलती जब
महकता आँगन
खिलते गुलमोहर
फैली चाँदनी
जब बेटी मुस्काई
जैसे बहार आई।।
4
आता तूफ़ान
टूट जातीं शाखाएँ
पीले पत्ते झरते
बच जाते वो
झुकते जो सामने
हरे पात न टूटे।
-0-ई-29,नेहरू ग्राउण्ड,फरीदाबाद-121001
-0-
ताँका
2-सविता अग्रवाल ‘सवि’
(कैनेडा)
1
ठोकर खाई
उठी,सँभली,चली
फिर जा गिरी
सिलसिला यूँ चला
उम्र निकल गई ।
2
सुगंध फ़ैली
तितलियाँ मचलीं
बगिया खिली
पराग पीने आई
भ्रमर -टोली ।
3
सावन ऋतु
हरी डूब मुस्काई
फुहारें लाई
संग मिल सखियाँ
तीजो के गीत गाएँ ।
4
प्रातः की बेला
पक्षियों की चहक
मन प्रसन्न
सूर्य-किरण आई
उषा-वधू लजाई ।
-0-
दूरभाष : (905) 671 8707
14 टिप्पणियां:
एक से बढ कर एक चारों ताँका बहुत सुंदर। बधाई सविता जी
सभी सेदोका और ताँका बहुत सुंदर...आ० सुदर्शन जी और सविता जी को हार्दिक बधाई।
एक से बढ़कर एक सेदोका और तांका। आदरणीय सुदर्शन दीदी और सविता जी को हार्दिक बधाई।
सादर
भावना सक्सैना
सभी सेदोका और ताँका बहुत सुन्दर एवं भावपूर्ण, बधाई रत्नाकर जी एवं सविता जी.
भावपूर्ण एवम सुंदर सेदोका एवम ताँका,आदरणीय सुदर्शन रत्नाकर जी एवम सविता जी बधाई।
रत्नाकर जी और सविता जी बहुत सुन्दर रचनाएँ हैं आपकी ।बहुत-बहुत बधाई ।
आप सब का हृदय तल से आभार।
हमेशा की तरह सुदर्शन जी की लेखनी से सुंदर सृजन ....बहुत ही सुंदर सेदोका
सविता जी मनमोहक ताँका ...
आप दोनों को हार्दिक बधाइयाँ
सबसे पहले भाई काम्बोज जी का ह्रदय से आभार मेरे तांका को पत्रिका में स्थान देकर प्रोत्साहित करने के लिए |सभी मित्रों का भी आभार मेरे सृजन को बढ़ावा देने के लिए |
बहुत सुंदर सेदोका और तांका।
सुदर्शन जी बहुत सुंदर सेदोका!
सविता जी आपकी लेखन शैली बड़ी मनमोहक है!
आप दोनों को बधाई!!
बेहद ख़ूबसूरत रचनाएँ .....आद.रत्नाकर जी और सविता जी को बहुत-बहुत बधाई ।
सुन्दर रचनाओं के लिए बहुत बधाई आप दोनों को
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