रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
1
कर का स्पर्श
पाकर दो पल में
पाथर बना मोती
आभा दोगुनी
भावाकुल तरंगें
गद्य -तट छू गई ।
2
चित्र -प्रीति अग्रवाल |
फूल-से झरो
बिखेर दो सुगन्ध
बहो अनिल मन्द,
किरन तुम
उजियारा भर दो
पुलकित कर दो।
3
छू स्वर्ण-पाखी
मेरी कञ्चन काया
सरस कर देना
अमृत रस
प्राणों के गह्वर में
आज तू भर देना।
4
मुखरित हों
रोम -रोम गा उठे
प्रतिध्वनि गुंजित
छू ले अम्बर
घाटियाँ नहा उठें
मुकुलित हों प्राण।
5
चलना चाहा
जब इस जग से
कर जकड़ रोका
देखा मुड़के-
स्वर्णाभा -सी मुस्काई
वह तुम ही तो थे!
6
मैं बलिहारी
ओ मेरे शब्दशिल्पी!
झंकृत हुआ उर
तेरा सितार
मधुरिम धुन से
करे कृति -सिंगार
7
उगो सूर्य- से
बहो बन निर्झर
उर हो आलोकित
सिंचित रोम
मन करे नर्तन
मेरे जीवनघन!
8
संतप्त मन
किए लाख जतन
न मिटी थी जलन
छली मुदित
छोड़े लज्जा- वसन
नग्न नृत्य- मगन।
9
छोटी- सी नाव
तैरा निंदा का सिन्धु
डुबाने वाले लाखों
फिर भी बचे
प्रिय आओ ! यों करें
कुछ दर्द बुहारें।
22 टिप्पणियां:
सभी सेदोका सुंदर आदरणीय भाई साहब विशेषतः फूलों-से झरो...मैं बलिहारी..। आपको अनेकों बधाई एवं शुभकामनाएँ!!
सुंदर चित्र सहित बेहद ख़ूबसूरत सेदोका...हार्दिक बधाई आपको भाईसाहब।
बहुत ही सुंदर , मन को छूते सेदोका
हार्दिक बधाई सर
💐
इतने मधुर, संगीतमय सेदोका संग्रह।
भाई साहब सभी सेदोका एक से एक बढ़कर हैं इतने सुन्दर भाव हैं कि मन प्रसन्न हो गया | हार्दिक बधाई स्वीकारें |
बहुत सुंदर सेदोका साथ ही चित्रों ने इसकी आभा बढ़ा दी ,बधाई । इसी प्रकार अच्छी-अच्छी रचनाएँ पढ़ने को मिलती रहें ।
बहुत सुन्दर सेदोका, मन को छूते भावों से युक्त ।हार्दिक बधाई आदरणीय ।
वाह, एक से बढ़कर एक ,सुंदर भावविभोर करते सेदोका।आपकी लेखनी को नमन भाई साहब।
फूल-से झरो
बिखेर दो सुगन्ध
बहो अनिल मन्द,
किरन तुम
उजियारा भर दो
पुलकित कर दो। यह तो बानगी है। सभी सेदोका एक से बढ़कर एक बहुत सुंदर हैं। ऐसी रचनाएँ शीघ्र आनी चाहिएँ। हार्दिक बधाई।
एक से बढ़कर एक सेदोका
बहुत सुंदर सृजन
हार्दिक बधाइयाँ
बहुत सुंदर सृजन, हार्दिक बधाई।
जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (२६-१२-२०२०) को 'यादें' (चर्चा अंक- ३९२७) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है
--
अनीता सैनी
आप सबने मेरे सेदोका पर टिप्पणी करके जो मनोबल बढाया, उसके लिर अनुगृहीत हूँ। आपके ये धबद मेरी ऊर्जा हैं।
सभी सेदोका एक बढ़कर एक आदरणीय भैया जी..हार्दिक बधाई आपको!
वाह! शानदार।
अति अति सुन्दर । हार्दिक आभार ।
बहुत सुन्दर-सुन्दर भावपूर्ण सेदोका. बहुत गहन भाव ...
छोटी- सी नाव
तैरा निंदा का सिन्धु
डुबाने वाले लाखों
फिर भी बचे
प्रिय आओ ! यों करें
कुछ दर्द बुहारें।
हार्दिक बधाई काम्बोज भाई!
सुंदर सेदोका भावपूर्ण ।
सफल संयोजन।
सुंदर सेदोका।
बहुत सुंदर भाव बधाई
अति सुंदर भावपूर्ण
सभी सेदोका एक से बढ़कर एक हैं, हार्दिक बधाई आदरणीय काम्बोज जी को
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