1-गुंजन अग्रवाल
1
फागुन की रुत आई
फूट पड़े अंकुर
वसुधा
फिर हर्षाई।
2
करताल बजाते हैं
पेड़ों के पत्ते
फगुआ भी गाते हैं।
3
जब दहक उठे टेसू
यादों में सजना
औ भीग गए गेसू।
4
अलि गुंजन करते हैं
फूलों -कलियों
से
मधु रस वो भरते हैं।
5
हँसती हैं जब कलियाँ
पागल- से
भँवरे
सुधि लेते हैं बगियाँ।
6
फागुन रुत भरमाई
याद पिया तेरी
आँखों से झलकाई।
-0-
2-रश्मि विभा त्रिपाठी 'रिशू'
1
हम कहाँ अकेले हैं
मन-आँगन निश दिन
सुधियों के मेले हैं।
2
अखियाँ हैं भर आती
उर-तरु से उड़ते
सुधियों के जब पाखी।
3
अमरित का प्याला है
प्रेम जिलाता है
यह जीवन- हाला है।
4
यादों की इक पाती
बाँचे जब ये मन
अँखियाँ भर-भर आतीं
5
जीवन- से प्यारे हो
डूबे मन के पिय
तुम एक सहारे हो
6
नैनों से नीर बहे
बुँदिया इक खारी
सब अपनी पीर कहे
7
मन पाखी उड़ता है
धरती से अम्बर
पिय को ही तकता है
8
हमको अफ़सोस रहा
निष्ठुर को चाहा
अपना ही दोष रहा
9
क्या साथ निभाएगी
धोखे में डूबी
यह प्रीति रुलाएगी
10
अब और न तरसाओ
साँसें बुझने को
अंतिम पल आ जाओ
-0-
14 टिप्पणियां:
गुंजन जी वाह ! सभी माहिया बेहतरीन ..3,5 👌👌
रश्मि विभा जी 1,2,4 👌👌 बाकमाल !!
गुंजन और रश्मि जी को सुन्दर सृजन हेतु हार्दिक बधाई
डॉ कविता भट्ट 'शैलपुत्री'
सादर आभार आदरणीया.🙏🙏
फागुन और प्रेम पऱ बहुत ख़ूबसूरत सृजन,गुंजन जी एवँ रश्मि जी कोई हार्दिक बधाई।
🌺🌺🌺🌺🌺🌺
बहुत आभार आ.🙏
उत्तम माहिये रश्मि जी..👌👌💐💐👌👌
बहुत सुंदर माहिये👌👌👌👌👌
सभी माहिया बहुत सुन्दर और भावपूर्ण. बधाई.
फागुन और प्रेम पर बहुत सुंदर माहिया। गुंजन जी एवं रश्मि जी को हार्दिक बधाई।
एक से बढ़कर एक सभी माहिया, बहुत आनन्द आया.....आप दोनों को बधाई!
हार्दिक बधाई, सुन्दर लिखा
डॉ कविता भट्ट 'शैलपुत्री'
गुंजन जी के और रेशू जी दोनों के मिठास भरे माहिया पढ़ कर बहुत प्रसन्नता हुई । आप दोनों को मेरी दिली बधाइयाँ ।
बड़े सुन्दर माहिया हैं सभी...मेरी ढेरों बधाई आप लोगों को
एक टिप्पणी भेजें