रविवार, 3 अक्तूबर 2021

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 ताँका

1- इतना प्यार!


रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’

1

इतना प्यार!

निशदिन बौछार

भीगा है मन

कहीं भी चला जाऊँ

तुम्हें भुला न पाऊँ।

2

जुड़ा सम्बन्ध

जन्मों का अनुबन्ध

कभी न टूटे

साँसें भले ही छोड़ें

तेरा साथ न छूटे।

3

सृष्टि की लय

तेरा प्यार  मुझमें

हुआ विलय

सूर्य, चन्द्र, तारक

साक्षी बन गर्वित।

4

गगन भेदी

ये मेरी प्रार्थनाएँ

तुझे पुकारें

प्रणव बन साँसें

तुझमें जा समाएँ।

5

अधरों पर

तेरा नाम छलके

सुधा पान- सा

आँखों में तेरी ज्योति

दीपित हो भोर -सी।

-0-

2-बोऊँ दुआ के फूल -रश्मि विभा त्रिपाठी

1


निष्प्रभ बाधा

बाँधते दुआ- धागा

तुम्हारे लिए

मेरे मन औ प्राण

तुम हो आयुष्मान ।

2

विघ्न- बाधाएँ

दुख- संताप व्यथाएँ

इतिश्री पाएँ

प्रिय के पंथ हम

दुआ- फूल बिछाएँ ।

3

प्रिय के हेतु

करूँ नित वन्दन

ईश सम्भालो

सुख का प्रबंधन

काटो भय- बन्धन ।

4

प्रभा अनंत

तिमिर का हो अंत

प्रिय- प्रासाद

सुख- समृद्धि वास

अलौकिक उजास ।

5

पाएँ निदान

समस्त व्यवधान

आनन्द- गान

प्रिय सदैव गाएँ

हँसें, खिलखिलाएँ ।

6

चुनके शूल

बोऊँ दुआ के फूल

प्रत्येक पल

आनंदित हों मीत

गाऊँ कामना गीत ।

-0-

21 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

अति सुन्दर भाव से परिपूर्ण ताँका।
सुन्दर सृजन की हार्दिक बधाई आदरणीय गुरु जी 🌷💐

सादर 🙏🏻

बेनामी ने कहा…

मेरे ताँका को त्रिवेणी में स्थान देने हेतु हार्दिक आभार

सादर 🙏🏻

Jyotsana pradeep ने कहा…

बहुत ही सुन्दर,सरस,मनभावन ताँका,आदरणीय भैयाजी एवँ प्रिय रश्मिजी को हार्दिक बधाई!

दिनेश चंद्र पांडेय ने कहा…

आदरणीय रामेश्वर कंबोज 'हिमांशु' सर का तांका प्रेम में भीगे मन की भाव अभिव्यक्ति व माधुर्य का सुंदर उदाहरण है। सुश्री रश्मि प्रभा त्रिपाठी जी की तांका रचनाएं प्रेम की रागात्मकता, समर्पण व वागवैधग्य का उदात्त उदाहरण हैं. उत्कृष्ट रचनाओं हेतु बधाई.

अरविन्द यादव ने कहा…

प्रेम के भावों से गुम्फित सरस मनहर ताँका आपको और रश्मि जी को बहुत बहुत बधाई सर

Rajesh bharti Haryana ने कहा…

क्या कहने 🌹🌹🌹❤️❤️

शिवजी श्रीवास्तव ने कहा…

दोनो ही रचनाकारों के ताँका प्रेम की उदात्त भाव भूमि की सहज अभिव्यक्ति कर रहे हैं।आदरणीय काम्बोज जी के ताँका में जन्म जन्मांतर के प्रेम सम्बन्धो की अभिव्यक्ति के साथ ही सम्पूर्ण सृष्टि में प्रेम की सात्विक अनुगूँज की प्रतिध्विनियाँ विद्यमान हैं,वहीं रश्मि विभा त्रिपाठी जी के ताँका प्रिय के मार्ग से समस्त विघ्नों को दूर करके उन्हें आनन्दित देखने की भावना से परिपूर्ण हैं।दोनो ही रचनाकारों को हार्दिक बधाई।

Krishna ने कहा…

प्रेममय सरस ताँका ... आ. काम्बोज जी एवं रश्मि जी को हार्दिक बधाई।

सहज साहित्य ने कहा…

सभी गुणिजन का हृदयतल से आभार,।

मेघा राठी ने कहा…

काम्बोज सर तांका बहुत अच्छा है

Sushila Sheel Rana ने कहा…

आदरणीय भैया और रश्मि जी के ताँका पावन प्रेम, समर्पण के उदात्त भाव लिए उत्कृष्ट सृजन का उदाहरण हैं। आप दोनों को बधाई !

बेनामी ने कहा…

आप सभी की सुन्दर प्रतिक्रिया हेतु हृदय तल से आभार

सादर 🙏🏻

सविता अग्रवाल 'सवि' ने कहा…

भाई काम्बोज आपने मधुर प्रेम की गहन अभिव्यक्ति की है अपने तांका में सुन्दर भाव हार्दिक बधाई |रश्मि जी को भी ह्रदय से बधाई |

dr.surangma yadav ने कहा…

पावन प्रेम से परिपूर्ण अति सुन्दर ताँका।काम्बोज भैया व रश्मि जी को बहुत-बहुत बधाई।

Vibha Rashmi ने कहा…

हिमांशु भाई के व रश्मि विभा के प्रेम - भाव ताँका बहुत सरस , सुन्दर । बधाई ।

भीकम सिंह ने कहा…

बेहतरीन ताँका, दोनों रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएँ ।

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

मन जिस प्रेम से भीग-भीग जाए, कुछ ऐसे ही तांका पढ़ कर आनंद आ गया | आदरणीय काम्बोज जी और रश्मि को बहुत बहुत बधाई |

Ramesh Kumar Soni ने कहा…

बेहतरीन ताँका-बधाई।
प्रेम की गहराइयों तक पहुँचते शब्दों की झंकृति से महकते ताँका बहुत अच्छे हैं।

Sudershan Ratnakar ने कहा…

पावन प्रेम से परिपूर्ण उत्कृष्ट ताँका। आप दोनों को हार्दिक बधाई

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

सुंदर पावन प्रेम के मधुर रस में डूबे सभी ताँका, गहरी अनुभूति करा गए!
आदरणीय भैया जी एवं रश्मि विभा जी को हार्दिक बधाई!

~सादर
अनिता ललित

Dr. Purva Sharma ने कहा…

प्रेम रस में भीगे बहुत ही सुन्दर ताँका.... एक से बढ़कर एक ....
गुरुवर आपकी लेखनी को नमन
हार्दिक शुभकामनाएँ स्वीकार करें


रश्मि जी सुन्दर सृजन के लिए हार्दिक बधाइयाँ