मंगलवार, 12 अक्तूबर 2021

991

 1-रश्मि विभा त्रिपाठी

1

अति पुनीत

अनुराग- ऋचाएँ

प्राण हर्षाएँ

गा प्रिय गुणगान

प्रेम- श्रुति महान।

2

मंगलाचार

मन करे उच्चार

आए ले द्वार

वे प्रिय भावमयी

पावन प्रेम- त्रयी।

3

भले अजान

पर सामर्थ्यवान

आँखें पढ़तीं

तेरा मन- भावार्थ

प्रेम- सूक्त निस्वार्थ ।

4

दूर विदेश

पाते सदा संदेश

मन- पुकार

पहुँची प्रिय- द्वार

भेजी चिट्ठी न तार ।

5

जीवन- ग्रंथ

अनुराग अनंत

मन- पृष्ठ पे

रचता सुख- सर्ग

दुख- पीड़ा उत्सर्ग ।

6

सूरज- चाँद

तुमने दिए बाँध

आ आँचल में

सजाकर उजास

रचा है इतिहास ।

7

मन वीथिका

जली नेह- दीपिका

नहीं कुछ भी

मनोकामना शेष

प्रिय से पाया उन्मेष ।

-0-

2-डॉ.नीना छिब्बर

1

मन गुफा में

गूँजें प्रतिध्वनियाँ

जागती आस

सुख दुख साथी -सा

चलता रहे साथ ।

2

नयी मंज़िलें

हिम्मत औ हौसला

हो जब साथ

काँटे भी बने फूल

राहें तब आसान ।

3.

देख के आज

गुलाब पे शबाब

वक्त भी थमा

धीमी चली पवन

आसमाँ झुक गया।

4

नदी तट पे

नन्हे फूलों की फौज

मौज ही मौज

लहरें हैं दीवानी

जल-संगीत बजा।

5

नन्हे कदम

बढ़े हौसले रख

जीतेंगे जंग

हिम्मत- पतवार

हर मुश्किल पार ।

6

आज ही दिखी

बादलों की चिट्ठियाँ

बिजली वाली

मोर पढ़के नाचे

छाया है अभिसार ।

7

दो ही रंग हैं

आशा और विश्वास

जीवन आस

बढ़ते ही रहना

मानव इतिहास ।

8

टेढ़े वक्त में

सीधे सरल रिश्ते

मन जीतते

मिटे हर थकान

राह बने आसान ।

9

सूर्य -प्रकाश

सिर चढ़ के बोला

उम्मीदे लाया

पाखी संग आ

संगीत की बहार।

10

परछाई से

चले हमनवाज़

क्षितिज पार

मौन रह सुनते

अनकही बतिया ।

11

दाना- दुनका

ढूँढ रही गौरैया

आँगन- द्वार

खुली  हैं खिड़कियाँ

दरवाजे मुस्काए।

12

चकित मन

नतमस्तक हम

प्रकृति -द्वारे

नदी- पर्वत सारे

ईश के प्रतिबिंब ।

13

नन्हीं चिड़िया

लाई शुभ संदेश

लौटेंगे देश

महकेगी ही आँच

घर होगा आबाद ।

14

पढ़ के देख

चेहरे की किताब

मिले जवाब

सुलझे उलझने

मिले परमांनद ।

-0-

3-सविता अग्रवाल ‘सवि’

1

धरा की छटा

नैसर्गिक आनंद

वादियाँ सजीं

रवि की चित्रकारी

मेघ भरते रंग ।

2

जागे हैं मेघ

कारवाँ में दौड़ते

होड़ लगाते

हार जाने पर वे

आँसू भी बरसाते ।

3

मौसम आया

पेड़ों से झरे पात

ठौर ढूँढते

लिपटके माटी से

अस्तित्व सब खोते ।

4

बहती हवा

छूकर मेरा तन

सिहरा गई

सुगंध- सी बिखरी

साँसों में बस गई ।

5

क्रूर मानव

जंगलों का दुश्मन

आग लगा

वायु के अभाव में

प्राण गँवाए ।

-0-

4-परमजीत कौर 'रीत'

1

वर्षा ऋतु में

फूलते जब द्वार

शोर मचाते

दिखते नहीं फूल

सीली सुगंध वाले

2

पलते सदा

अधखुली आँखों में

सपने

जब  लड़खड़ाते

खुल जाती हैं आँखें

3

भोली गौरैया

चीरती आसमान

बसेरा तृण

बैठती गुंबदों पे

अंतर न करती

4

जिंदगी  लगे

कपास के फूल- सी

उजली नरम

पर किनारे सख़्त

चुभें तो सँभलना

5

चंदा बेचैन

छत पर घूमता

यहाँ से वहाँ

बंद हैं दरवाजे

कोई नहीं दिखता

6

मन- दीवार

हटते ही तस्वीरें

जगह खाली

बच जाते हैं दाग़

रह जाता है दर्द

-0-

14 टिप्‍पणियां:

Rajesh bharti Haryana ने कहा…

बहुत बढ़िया

सविता अग्रवाल 'सवि' ने कहा…

रश्मि जी, नीना जी और परमजीत जी को सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई। भाई कम्बोज जी का हृदय तल से आभार मेरे ताँका को पत्रिका में स्थान हेतु। राजेश भारती जी का भी हार्दिक धन्यवाद।

Ramesh Kumar Soni ने कहा…

सभी ताँकाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ।
आप सभी की रचनाएँ सुंदर हैं, पढ़ते ही रहने को मन करता है।

बेनामी ने कहा…

आदरणीया नीना जी, सविता जी एवं परमजीत जी के मनभावन ताँका गीत।

हार्दिक बधाई स्वीकारें।

सादर 🙏🏻

बेनामी ने कहा…

मेरे ताँका पसंद करने हेतु आप सभी का हृदय तल से आभार।

सादर 🙏🏻

प्रीति अग्रवाल ने कहा…

वाह! एक से बढ़कर एक सुंदर तांका.... सविता जी , परमजीत जी और रश्मि जी को बधाई!!

Sudershan Ratnakar ने कहा…

अति सुन्दर ताँका। रश्मि जी,सविता जी, परमजीत जी,नीना जी आप सब को उत्कृष्ट सृजन के लिए हार्दिक बधाई।

Reet Mukatsari ने कहा…

बहुत सुंदर तांका। आदरणीया रश्मि विभा त्रिपाठी जी,डॉ.नीना छिब्बर जी,सविता अग्रवाल ‘सवि’जी ,आप सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।

मेरे तांका पसंद करने केलिए गुणीजन का हार्दिक आभार।


मेरे तांका प्रकाशित करने के लिए त्रिवेणी टीम का हार्दिक आभार। -परमजीत कौर'रीत'

Reet Mukatsari ने कहा…

बहुत सुंदर तांका। आदरणीया रश्मि विभा त्रिपाठी जी,डॉ.नीना छिब्बर जी,सविता अग्रवाल ‘सवि’जी ,आप सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।

मेरे तांका पसंद करने के लिए सभी गुणीजन का हार्दिक आभार।


मेरे तांका प्रकाशित करने के लिए त्रिवेणी टीम का हार्दिक आभार। -परमजीत कौर'रीत'

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

बहुत अच्छे तांका हैं, आप सभी को बहुत बधाई

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

सभी ताँका बहुत सुंदर! विशेषकर - 'दूर विदेश', 'टेढ़े वक़्त में', 'धरा की छटा' एवं 'मन-दीवार' बहुत ही सुंदर!
हार्दिक बधाई विभा रश्मि जी, नीना छिब्बर जी, सविता अग्रवाल जी एवं परमजीत कौर जी!

~सादर
अनिता ललित

Krishna ने कहा…

बहुत सुंदर तांका... रश्मि विभा जी,डॉ.नीना जी,सविता जी,परमजीत जी आप सभी को हार्दिक बधाई

dr.surangma yadav ने कहा…

वाह!बहुत सुंदर ताँका ।सभी रचनाकारों को बहुत-बहुत बधाई।

Sushila Sheel Rana ने कहा…

सुंदर विषय, भाव, बिंब एवं उपमाओं से सज्जित ताँका। सभी रचनाकारों को बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं 🌹