1-गुलमोहर
भीकम सिंह
1
प्रेम के नाम
धूप के अफसाने
कितने चले
घण्टों बाँहों में भरे
गुलमोहर हरे।
2
न्योते आए हो
गुलमोहर को ज्यों
तरुवर से
भरे खड़ा धूप में
गुलदस्ते कब से।
3
प्रेम की भाषा
ॠतुएँ समझती
वर्षा ज्यों पले
निरंतर गिरके
गुलमोहर तले।
4
झिलंगी खाट
गुलमोहर पड़ा
झुर्रियों- भरा
तितलियों में रहा
हमेशा हरा-भरा।
5
मुँह उजला
गुलमोहर हरा
पानी ना माँगे
दोपहरी चलता
लेकर गुलदस्ता।
-0-
2-कपिल कुमार
1
प्रेम में दर्प
दूर खड़े रहे ज्यों
ऊँचे पर्वत
नदी-सा मिले होते
फूलों- से खिलें होते।
2
प्रेमवन में
सींचता कौन काँटे
उदास मन
पूछता चिल्लाकर
फूल क्यों नहीं उगे?
3
प्रेम-पथिक
काँटों में राह बना
बढ़ते जाते
घृणा पराजित हो
वो ज्यों हँसते जाते।
4
मन में उठे
स्मृतियों की लहरें
ज्यों ज्वार- भाटा
मुझे खींचे तुम्हारा
प्रेमाकर्षण बल।
5
कभी स्वीकृति
कभी अधर मौन
प्रेम-रहस्य
सभी के लिए बना
बरमुंडा-त्रिकोण।
6
चलते रहे
बिना किसी मेल के
हमेशा साथ
दौड़ती रहती, ज्यों
समांतर रेखाएँ।
7
सँजोये हुए
अपरिमित यादें
आखिरी चिट्ठी
अनंत प्रेम रखे
मन-संग्रहालय।
8
खड़ी हुई हैं
मन में इमारतें
घृणा की लाखों
प्रेम से छूकर
इन्हे नष्ट कर दो।
9
किसने बाँधा?
प्रेम को सिद्धांत में
रोज बनते
अलिखित नियम
ज्यों नागरिकशास्त्र।
10
प्रेम-गणित
देखकर तुमको
मस्तिष्क शून्य
हृदय- गति हुई
अनंत, परिमित।
-0-
13 टिप्पणियां:
गुलमोहर का सजीव चित्रण करते सुंदर ताँका। हार्दिक बधाई भीकम सिंह जी। सुदर्शन रत्नाकर
प्रेम सम्बंधी बेहतरीन ताँका । हार्दिक बधाई कपिल कुमार जी। सुदर्शन रत्नाकर
Kapil sir outstanding
आपकी कलम का जवाब नही
सुंदर हाइकु रचने के लिए भीकम सर को हार्दिक बधाई!
मेरे ताँका छापने के लिए संपादक द्वय का हार्दिक आभार!
Bahut sundar!
रचनाकार द्वय को प्रेम पगे सुंदर हाइकु रचने के लिए बहुत-बहुत बधाई।
प्रेम के नाम
धूप के अफसाने
कितने चले
घण्टों बाँहों में भरे
गुलमोहर हरे।
प्रेम में दर्प
दूर खड़े रहे ज्यों
ऊँचे पर्वत
नदी-सा मिले होते
फूलों- से खिलें होते।
बहुत सुंदर!
सुंदर बिम्बों से सजे गुलमोहर के ताँका हेतु डॉ. भीकम सिंह जी को बधाई।कपिल कुमार जी प्रेम पर सुंदर ताँका रच रहे हैं।बहुत बहुत बधाई
भीकम सिंह जी के गुलमोहर सुसज्जित हाइकु अति मन भावन!
कपिल जी की अभिव्यक्ति बेहतरीन।
आप दोनों को बधाई!
बहुत ही सुंदर
आत्मीय टिप्पणी के लिए आप सभी का हार्दिक आभार ।
बहुत ही मनभावन ताँका।
आदरणीय भीकम सिंह जी को हार्दिक बधाई।
सुंदर ताँका सृजन हेतु आदरणीय कपिल कुमार जी को बहुत बहुत बधाई।
सादर
गुलमोहर तथा प्रेम पर रचे बेहतरीन ताँका...भीकम सिंह जी और कपिल कुमार जी को हार्दिक बधाई।
प्रेम पर सृजित शानदार ताँका रचनाएँ । पढ़कर मन खुश हो गया । भीकम सिंह जी और कपिल कुमार जी को बधाइयाँ ।
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