सोमवार, 27 जून 2022

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 1-पिता

कृष्णा वर्मा 

 1

पका जमके

समय की धूप में

क्योंकि मैं पिता

तुम क्या समझोगे

हूँ भीतर से रीता।

2

संग्राम जीता

भेदा है चक्रव्यूह

बन ना पाया

मैं फिर भी विजेता

क्योंकि हूँ मैं पिता।

3

आँसू लुकाए

दर्द लगाके सीने

वह मुस्काए

लड़े कड़ी धूप से

देने को हमें छाँव। 

4

प्रेम सागर

क्यों कोरा सच पिता

रखे छुपाके

अँधेरे कोने रह

बाँटे सदा उजाले।  

5

पिता पहाड़

भीतर कमज़ोर

क्या अदाकार  

मन मखमल का

ओढ़े रूप कठोर।

6

पिता जागीर

जिसके दम से ही

बच्चे अमीर

हों हम बेज़ार वो

हौसले की दीवार।

7

कांधे उठाए

तुम्हें जग घुमाए

सबसे जुदा

हो तेरी पहचान

पिता हो कुरबान।

8

न सिर्फ़ पिता  

है साक्षात् भगवान

सच्चा है मित्र

भविष्य का निर्माण

चेहरे की मुस्कान।  

-0-

2-कपिल कुमार

1

बन्द पड़े है

ज्यों बूढ़े दरवाजे

मन के द्वार

जीवित हो उठेगें

छू लो, ले थोड़ा प्यार। 

2

प्रेम हमारा

ज्यों नागफनी काँटे

चुभे सभी को

बनाते है इसको

पुष्प हरसिंगार। 

3

खरीदे थे जो

हरसिंगार फूल

तुम्हारे लिए

फाँक रहे है धरे

अलमारी में धूल। 

4

कौन करेगा

प्रेम अपरंपार

नए युग में

अब करते लोग

क्षणभंगुर प्यार।

5

मेरी कलम

लिखें है बस अब

प्रणय-पत्र

फेंकता हूँ जिनको

खिड़की से तुमको। 

6

मन-बंजर

प्रेम के पौधे सींचो

आकर तुम

खिल उठेगा मन

ज्यों गर्मी में पलाश। 

7

मैंने ज्यों पढ़े

तुम्हारे दिए पत्र

उनमें मिले

प्रेम-वसीयत पे

तुम्हारे हस्ताक्षर। 

8

कहाँ से सीखी

उलझी हुई बातें

इतनी ज्यादा

प्रेम में नहीं होतीं

ये अगर-मगर। 

9

तुमको आती

वशीकरण- कला

या कुछ और

खींचती हो मुझको

ज्यों चुम्बकीय बल।

10

प्रेम-दीवानी

अट्टालिका से देखें

मंद मुस्कान

खिल उठी देख, ज्यों

सूखे वृक्ष में जान।

11

मेल हमारा

संभव नही प्रिये! 

हम भू-छोर

तुम उत्तरी ध्रुव

मैं ज्यों दक्षिणी ध्रुव। 

-0-

11 टिप्‍पणियां:

प्रीति अग्रवाल ने कहा…

बहुत सुंदर रचनाएँ, कृष्णा जी और कपिल जी को हार्दिक बधाई।

बेनामी ने कहा…

बहुत सुंदर सृजन । दोनों रचनाकारों को हार्दिक बधाई। सुदर्शन रत्नाकर

Gurjar Kapil Bainsla ने कहा…

कृष्णा वर्मा जी के सभी ताँका एक से बढ़कर एक। आपको हार्दिक शुभकामनाएं व मेरे ताँका प्रकाशित करने के लिए संपादक द्वय का हार्दिक धन्यवाद।

बेनामी ने कहा…

आदरणीया कृष्णा दीदी एवं कपिल कुमार जी के सुंदर ताँका।

हार्दिक बधाई 💐🌷

सादर

Krishna ने कहा…

उत्कृष्ट ताँका... कपिल कुमार जी हार्दिक बधाई।

मेरे ताँका प्रकाशित करने के लिए सम्पादक द्वय का हार्दिक आभार।

भीकम सिंह ने कहा…

कृष्णा वर्मा जी और कपिल कुमार को बेहतरीन ताँका रचने के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ ।

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

पिता पर कृष्णा जी का ताँका मन को छू गया। कपिल जी के सभी ताँका बहुत सुन्दर। सुन्दर सर्जन के लिए आप दोनों को हार्दिक बधाई।

डॉ. पूर्वा शर्मा ने कहा…

कृष्णा जी भावपूर्ण ताँका के लिए बधाई
कपिल जी प्रेम रस में भीगे सभी ताँका बहुत ही सुन्दर....
हार्दिक बधाई स्वीकार करें

शिवजी श्रीवास्तव ने कहा…

पिता की मनःस्थितियो का बहुत ही मार्मिक एवं भावपूर्ण चित्र अंकित करते ताँका हेतु कृष्णा जी को बधाई।कपिल जी के ताँका प्रेम की अनुभूतियों का बहुत सुंदर चित्रण करते हैं। कपिल जी को बधाई

Ramesh Kumar Soni ने कहा…

पिता एवं प्रेम पर रचित ताँका विविध दृश्यों को उकेरने में कामयाब हुए हैं-आप द्वय को हार्दिक बधाई।

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

सभी तांका बहुत अच्छे लगे, आप दोनों को बहुत बधाई