1- यादें
सुदर्शन रत्नाकर
ये जो यादें हैं दिल
की परतों से निकलती ही नहीं जोंक की तरह चिपकी
हैं। पूरी देह का रक्त चूसकर ही निकलेंगी। कील की तरह चुभती रहेंगी और जब कुछ भी भूलता नहीं ,तो मन को कचोटती रहती हैं, पीड़ा
देती हैं। भूली- बिसरी यादों का कारवाँ परछाई की तरह साथ-साथ चलता रहता है। अब बताओ
भला इतने भारी बोझ के साथ इंसान चल भी कैसे सकता है। वह तो टूटेगा और टूटकर गिरेगा
भी। पर गिरेगा तो सम्भलना भी उसे ही है और सम्भलेगा तब, जब यादों की गिरफ़्त से निकलेगा।अतीत
को साथ लेकर नहीं जिया जा सकता। कब तक उसकी गठरी सिर पर उठाते रहेंगे। वर्तमान में
भी तो बहुत कुछ है, उसका आनंद क्यों न लें। जो कल था, वह आज नहीं है, आज वाला कल नहीं
होगा। परिवर्तन आवश्यंभावी है , प्रकृति का नियम है ,जिसे स्वीकारने में ही समझदारी
है। यही जीवन का सत्य है।
1
भूल भी जाओ
कचोटती हैं जो
यादें पुरानी।
2
जाती ही नहीं
भूली बिसरी यादें
बसी मन में।
-0-
2-जड़ें बेकार नहीं होतीं
बरगद के पेड़ को उसके पूर्वजों
ने लगाया था ।कई पीढ़ियों से छाया देता आया है। आसमान को छूती शाखाएँ और छतनार से फैले
इस पुराने पेड़ की जड़ें अब उसके चारों ओर लटक रही हैं। नई पीढ़ी के बच्चे उसे देखकर
पूछते हैं , पेड़ की इन जड़ों का क्या लाभ दादू, काट क्यों नहीं देते। कितनी भद्दी
लगती हैं। पेड़ को तो पानी -खुराक अंदर की जड़ों से मिलता है न। वह उन्हें वैज्ञानिक
आधार तो बता सकता है; लेकिन यह कैसे समझाए कि ये फैली बेकार की जड़ें पेड़ को आँधी-
तूफ़ान से रक्षा तो करती है, उसे मज़बूती भी देती है।आज की पीढ़ी भौतिकवाद और पश्चिमी
सभ्यता के भँवर में फँसी है, उसका आचार -विचार, रहन-सहन बदल रहे हैं। उन्हें यह समझाना आवश्यक है कि जैसे
बूढ़ा पेड़ और फैली जड़ें प्रकृति की संरक्षक
हैं। बेकार नहीं होतीं। वैसे ही वृद्ध ,पुरानी परम्पराएँ , धर्म, दर्शन ,संस्कार ये हमारी संस्कृति, सभ्यता के संरक्षक है, जिसे
हमें बनाए रखना है।
1
पुरानी जड़ें
रखतीं सुरक्षित
संस्कृति को भी।
2
परम्पराएँ
संस्कृति का आधार
बनाए रखें।
-0-ई-29,नेहरू ग्राउंड,फ़रीदाबाद 121001
13 टिप्पणियां:
बेहतरीन हाइबन, हार्दिक शुभकामनाएँ ।
बहुत ही सुंदर
अच्छे हाइबन-बधाई
बहुत ही सार्थक, प्रेरक और सुंदर हाइबन।
बहुत ही उत्कृष्ट हाइबन।
आदरणीया दीदी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ💐
सादर
भीकम सिंह जी,रमेश कुमार सोनी जी,सुशीला जी,सुषमा एवं रश्मि जी प्रतिक्रिया देने के लिए हार्दिक आभार। सुदर्शन रत्नाकर
वाह! दोनों हाइबन उत्कृष्ट! धन्यवाद दी!
एक से बढ़कर एक ... दोनों ही हाइबन बेहतरीन
उत्कृष्ट सृजन के लिए सुदर्शन जी को बधाई
प्रीति जी,पूर्वा जी हार्दिक आभार।
वाहह... अति उत्कृष्ट सृजन 🙏🌹
दोनो हाइबन का अच्छा सृजन है हार्दिक बधाई। सविता अग्रवाल “सवि”
बहुत सुंदर दोनो हाइबन...हार्दिक बधाई दी।
बहुत भावप्रवण हाइबन हैं दोनों, बहुत बधाई
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